हर गलती पर मुझे समझाया करती थी,
माँ तुम ही तो मुझे सब सही गलत बताया करती थी...
पड़ोसियों की शिकायत पर जब बाबूजी भड़क जाया करते थे,
तुम्ही तो खुद बीच मे आके मुझे बचाया करती थी...
भुल्लकड़ था मैं पहले से ही बोहोत,
जाते वक्त कॉलेज, बैग में खाने का डब्बा भी तुम्ही रखवाया करती थी...
करता हूँ जो टाईप अब सैकडों लाइन रोज मोबाइल और कंप्यूटर में,
कभी हाथ पकड़ मुझसे अक्षर भी तुम्ही बनवाया करती थी...
बड़ा हो गया और बोहोत दूर हूँ तुमसे,
अब मालूम होता है तुम मेरा जीना कैसे आसान बनाया करती थी...
लिखने को तो लिख दूँ कई किताबें तुमपे ए माँ,
पर तुम ही तो मेरा मोबाइल लेके, मुझे आराम कराया करती थी...
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