प्यार सभी करते हैं पिता से मैं भी करती हूँ,
मेरे हीरो वही थे, कहानी उनकी आज सुनाती हूँ,
कुछ नहीं था उनके सामने चाहे हीरा या सोना था,
मैंने उनके दुलार को सबसे कीमती बोला था।
दिन रात और रात को दिन करते मैंने उन्हें देखा था,
सोने के नाम पर भी ना जाने कितनी दफ़ा,
उन्हें आँखों में पानी के छींटे मारते देखा था,
मैंने उनके दुलार को सबसे कीमती बोला था।
पता नहीं क्यूँ उन्हें स्कूटर से कोई परेशानी थी,
जबकि माँ बताती है हमसे पहले यही उनकी सवारी थी,
उन्हें हमारे लिए साइकिल का पैडल मारते देखा था,
मैंने उनके दुलार को सबसे कीमती बोला था।
एक ग़ज़ब चार्म था उनमें, स्मार्टनेस का पैकेज था,
बड़ी बहन को देख मेरी, कोई उनकी बेटी ना बताता था,
मैंने उन्हें हर सामान को बहुत करीने से लगाते देखा था,
मैंने उनके दुलार को सबसे कीमती बोला था।
मैं उनकी बहुत नहीं सारी बातें मिस करती हूँ,
कोशिश बहुत मैं भी वैसा बनने की करती हूँ,
लेकिन उतनी मेहनत से मैं बहुत थक जाती हूँ,
चौतरफा टूट कर अक्सर मैं बिखर जाती हूँ।
शायद यही अन्तर मुझे बेटी और उन्हें पिता बनाता था,
प्यार-दुलार कितनों को है आज भी मुझसे बेपनहा,
लेकिन वैसा लाड अब नहीं, जो उनसे मिलता था,
इसलिए मैंने उनके दुलार को सबसे कीमती बोला था।
चारु चौहान
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌
बढ़िया
🙏🙏🙏
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