डियर हमसफर,
जानती हूँ मैंने हमेशा तुमसे हर बात के लिए शिकायत की हैं। लेकिन इस वैलंटाइंस डे, आज मैं तुम्हें धन्यवाद कहना चाहती हूँ । धन्यवाद तुम्हारा उन सब बातों के लिए जो तुम मेरी खुशी के लिए करते हो। धन्यवाद तुम्हारा, मुझे हमेशा सपोर्ट करने के लिए। तुमने मुझे तब तब संबल दिया जब जब मैंने खुद को अकेला पाया। मेरी असफलताओं मे भी कोई न कोई सफलता देख कर मुझे प्रोत्साहित करने के लिए भी तुम्हारा आभार....! कहते हैं कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है लेकिन यहाँ यदि मैं कभी सफल हो पायी या जो भी मैं अब भी हूँ उसके पीछे सिर्फ़ तुम्हारा सहयोग है और होगा । मुझे याद है जाने कितनी दफा मैं हार कर अपनी ज़िन्दगी तक ख़तम करने की सोच बैठी थी। तुम्हारा धन्यवाद फिर, मुझे यह एहसास दिलाने के लिए कि ज़िन्दगी खूबसूरत है बस उसे खुल कर जियो तो सही....पॉज़िटिव सोचोगी तो पॉज़िटिव ही पाओगी। ज़िन्दगी से मुंह मोड़ना कोई हिम्मत की निशानी नहीं। इसीलिए तुम्हारा धन्यवाद और तुम्हारा आभार मुझे उस प्यार की अनुभूति देने के लिए जो अकेले में भी मुझे ओतप्रोत कर जाता है। जब मैं उदास होकर या रूठ कर बैठ जाती हूँ तो चुपके से गले लगा लेने के लिए तुम्हारा धन्यवाद। तुम्हारा हौसला देना ही मुझे हमेशा ऊर्जावान बनाता है। बिन रुके चलते रहने की सीख के लिए तुम्हारा धन्यवाद....! कहते हैं कि आज के समय में प्यार उतना पवित्र नहीं। लेकिन जब जब तुम्हें देखती हूँ इस बात को झूठा ही पाती हूँ। कहना तो बहुत कुछ है, मुझे अभी तुमसे। लेकिन कैसे कहूं क्यूंकि तुम्हारे इस बिन शर्त और निश्छल प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए मेरे पास शब्दकोश नहीं है।
बहुत बार कहना चाहा तुमसे मैंने यह सब, लेकिन कह नहीं पायी और शायद आज भी ना कह पाती इसलिए लिखना मुझे थोड़ा आसान लगा। वैसे तो 365 दिन हमारा जुड़ाव वही है फिर भी इस दिन कुछ खास तो जरूर कहना है मुझे। मेरी लिखी इन चंद पंक्तियों से.....
मेरा प्रेम एक सूखा रेगिस्तान की तरह, उसे पूरा करता तेरा प्रेम ! नदी के पानी सा निश्छल है प्रेम तेरा, पर कुएं जैसा ठहराव मुझमे भी है ! तुम्हारा जितना समर्पित नहीं, लेकिन हाँफता कांपता मेरा भी है !!!
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