माँ

माँ के प्रेम और त्याग को शब्दों में बयान कर पाना नामुमकिन है फ़िर भी एक छोटी सी कोशिश की है मैंने।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 26 Aug, 2020 | 1 min read
#Motherlove Sacrifice #LoveU #unconditionallove #maa

वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया

और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर.....

          उफ्फ.... ! कुछ ऐसा ही तो है माँ का किरदार भी एक घर में...जो अप्रत्यक्ष रह कर भी संभाले होती है पूरे घर को अपने कंधों पर... हर जिम्मेदारी निभाती है बिन किसी तारीफ की अभिलाषा किए। बिन किसी स्वार्थ के...बस मोती रूपी अपनो की तारीफ देख कर ही खुश हो जाती है वो माँ। हर परिस्थिति में तुम मजबूत ढाल होती हो बच्चों के लिए। हाँँ... तुम कभी कमजोर नहीं पड़ती हो...।

ना कुछ अपेक्षा किसी से ना कोई गम... वो खुश रहती हैं बस परिवार की खुशी में।पति की एक एक चीज़ हाथ में लाकर रखने से लेकर बच्चों के होमवर्क तक,,,, सास ससुर की सेवा से लेकर ननद देवर की फरमाइशो तक,,, सब करती जाती है वो बिना रुके बिना थके बिन अपने बारे में सोचे l तुम्हारा समर्पण शब्दों में बयां करना कितना मुश्किल है ना....

ना जाने कितनी दफा दिल दुखाया है मैंने उसका,, कभी अनजाने में तो शायद कभी जान कर... ना जाने कितनी बार उपेक्षा की तुम्हारी,, हो सकता है कि जब तुमने मुझे बताना भी चाहा हो अपनी दिल की बात,, लेकिन शायद फिर मेरे लिए सहन कर गयी होगीं सब । उफ्फ.. तब भी कितनी सहनशील थी तुम माँ...सब सुनती फिर भी मुस्कान के साथ संभाले थी हमें... कहाँ से लाती थी तुम इतनी विनम्रता....? 


कैसे.. हाँ कैसे कर पाती हो तुम...बिन कुछ चाहे अपने कर्तव्यों का निर्वाह...? सबको जोड़ कर रखती हो एक माला में और खुद बदले में कभी कुछ चाहती भी नहीं... क्यू तुम सबकी तरहा स्वार्थी नहीं हो पाती...??  क्यू हर पल सोचती हो तो बस..अपने परिवार के बारे में... क्यू हमारी खुशी के लिए अपना सजना संवरना तक भूल जाती हो तुम माँ...??? क्या कभी नहीं चाहा तुमने.. जो तुम सबके लिए करती हो उसके बदले ज्यादा नहीं तो कोई थोड़ी तारीफ तो कर दे...?

ये सब सवाल पहले भी बहुत बार आते थे मेरे मन में..जो मैं कभी पूछ नहीं पायी तुम से... लेकिन अब जब मैं तुम्हारी जगह ख़ुद को पा रही हूँ तो सारे सवालो के जवाब भी मुझे मिल रहे हैं,, और वही सब कर रही हूँ मै भी... खुश होना सीख गयी मैं भी अपनों की खुशी में लेकिन फिर भी मैं तुम नहीं बन पाती हूं... तुम्हारा समर्पण मुझमें नहीं आ पाता,,,

आज तुम्हारे लिए मन में सम्मान अपने आप और बढ़े जा रहा है तुम ही मेरी प्रेरणा हो तुम ही मुझे संबल दिए हो l तेरे बलिदानों का मोल मुझे समझ आने लगा है अब माँ,,

बस अब मैं यही कह सकती हूं कि तुम अनमोल हो माँ......  

सच में माँ अनमोल होती है 

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Charu Chauhan

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