"एक बार फिर से फाइनल लिस्ट से बाहर हो गयी। मन बहुत दुखी रहता था। जॉब ना मिलने के कारण दुखी होकर गुमसुम सी खाना बनाने में लगी थी। तभी पीछे से किसी ने कहा, आज खाने में क्या है मिसेज शेफ?? रेस्त्रां का खाना भी फेल है आपके खाने के सामने तो। जादू है आपके हाथ में तो जादू....जो हम खिंचे चले आते हैं। पीछे मुड़ कर देखा, पूरा परिवार खड़ा था मुझे खुश करने के लिए। यह सब देखकर एकाएक मैं खिलखिला पड़ी। तब समझ आया जिंदगी की छोटी छोटी खुशियाँ तो मैं भूल ही गई थी।"
जीवन में बड़ी खुशियाँ ना मिलने या खो देने के बाद हम उदास हो जाते हैं। जोकि लाजमी भी है लेकिन छोटी छोटी खुशियों को भी भूलना नहीं चाहिए। हमारे आसपास बहुत ही अच्छी और प्यारी चीज़े होती है उन्हें बड़ी के चक्कर में अनदेखा नहीं करना चाहिए। और अगर किसी को फिर भी उदासी घेर ले तो परिवार होने के नाते सबका फ़र्ज़ बनता है अपने प्रिय परिजन को उदासी के घेरे से बाहर निकाल कर जिंदगी की खूबसूरती दिखाने का। ख़ुशी छोटी हो या बड़ी खुशी तो खुशी होती है। सबका आनंद लेना चाहिए। जब हम छोटी छोटी खुशियों का भी आंनद लेने लगते हैं जीवन ख़ुशनुमा अपने आप बन जाता है।
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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत खूब
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