संता आयेंगे....

माँ ने कहा भी, बेटा गरीबों का कोई संता नहीं होता। हमें खाने के लिए आटा ही मिल जाए वही बहुत है, उपहार बहुत दूर की सोच है।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 25 Dec, 2020 | 1 min read
#Santa contest #Christmas

छोटू बेधड़क चल रही सड़क को बड़ी आस से एक टक देख रहा था। सामने मॉल में भी तो समान्य से अधिक चहल पहल थी। होटल के बाहर ही एक बड़ा सा पेड़ कैसे रंग बिरंगी लाइटिंग से जगमगा रहा था। आज कूड़ा बीनते हुए छोटू ने सुना था एक माँ अपने बेटे को बता रही थी कि आज रात संता आयेंगे और तुम्हें ढेर सारे उपहार और चॉकलेट देंगे। यह सुनकर वह झूमता हुआ अपनी झोपड़ी में आया और माँ बापू को इस बारे में बताया। माँ ने कहा भी, बेटा गरीबों का कोई संता नहीं होता। हमें खाने के लिए आटा ही मिल जाए वही बहुत है, उपहार बहुत दूर की सोच है। लेकिन छोटू को विश्वास था कि संता जरूर आयेंगे वरना आंटी ऐसा क्यूँ कहतीं। छोटू, उन्हीं संता के इंतजार में बिन पलक झपकाए ठोड़ी के नीचे हाथ लगाकर सड़क किनारे बैठा था । ठंड के मारे शरीर में कंपकंपी छूट रही थी। लेकिन नहीं छूट रही थी तो वह थी उस बच्चे की आस। रात के दस बज चुके थे माँ बार बार आवाज लगाती पर वह अंदर ना आता। और बोलता - माँ, मैं यहीं उनका इंतजार करूंगा कहीं ऐसा ना हो वो मुझे देख ही ना पाये और मेरे उपहार छूट जाएं। माँ बाप को बच्चे की हालत पर करुणा आ रही थी लेकिन मन विचलित भी था कि जब उसकी आस टूटेगी तो क्या होगा। बाप ने कुर्ते की जेब में हाथ डाला और खंगाला तो कुछ 10-10 के नोट और कुछ सिक्के ही हाथ में आए। माँ ने प्रश्नवाचक नजरों से पति को देखा। पिता मुस्कुराया और कहा - कल भूखा रह लूँगा लेकिन अपने छोटू का विश्वास नहीं टूटने दूँगा। झोपड़ी से बाहर आया और बेटे से कहा - जा अंदर जा, अब तू थक गया होगा। मैं बैठता हूँ यहाँ। जब तेरे संता आयेंगे मैं उन्हें तेरे पास ले आऊंगा। छोटू हँसा और पिता के गालों पर चुंबन देकर अंदर माँ की गोद में जाकर सो गया।

सुबह जब छोटू उठा तो अपने पास रखी एक चॉकलेट और प्लास्टिक का गुड्डा देख कर खुशी से चीख पड़ा। माँ बाबा ने आकर देखा कितना खुश था छोटू। विजयी मुस्कान लिए माँ बाबा से कह रहा था - देखा, मैंने कहा था ना कि संता आयेंगे और उपहार लाएंगे। और मुस्कराता हुआ दोनों से जा लिपटा।फिर गुड्डे को शर्ट की जेब में घुसाया और खुशी से अपना झोला उठा कर चल दिया कूड़े में अपना नसीब बीनने।

माँ बाप खुश थे अपने बेटे का संता बनकर। आज दोनों को दिन भर भूखा रहना पड़ेगा लेकिन शिकन तक चेहरे पर दिखाई ना पड़ती थी शायद छोटू की खुशी की चमक उससे कहीं ज्यादा थी। 


स्वरचित व मौलिक

© चारु

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