देखो, बहू को माता आयी है।

थोड़ा हँस ले ज़रा। हास्य लिखने का एक प्रयत्न

Originally published in hi
Reactions 3
788
Charu Chauhan
Charu Chauhan 28 Nov, 2020 | 1 min read
laughing funny smile amazing

सोच रही थी नयी साड़ी पहन इतराऊंगी मैं,

लेकिन मैं ठहरी छोटी बहू...

भला कैसे सबकी नजरों में चढ़ पाऊँगी मैं?

सास कहती अरे सुन , मेरे पैर दबा दे.... 

 बड़ी भाभी कहती छोटी ज़रा चाय तो चढ़ा दे, 

अब ननद रानी भला कैसे पीछे रहती... 

बोली, मेरी प्यारी सहेली जैसी भाभी मेरे लिए जूस बना दे। 


लेकिन मैं ठहरी चपल चतुर... ऐसे कैसे सबके झांसे में आऊंगी मैं.

लड्डू पेड़ा, रस मलाई, बर्फी अपने हिस्से की भर भर कर खाऊँगी मैं।

तभी खुराफाती दिमाग में एक योजना आयी।

जूड़ा खोल कर बालों को जोर जोर से हिलायी,

आंखों को थोड़ा बड़ा किया,

झूठा ग़ुस्सा चेहरे पर गड़ा,

पड़ोस की एक अम्मा बोली अरे, कमला तेरी बहू को देख तो माता आयी।

सफल होती योजना देख मेरी तो बांछें खिली....

अब ना कोई काम बता रहा है और ना ही डांट सुना रहा है,

तरस रहीं थीं जो पकवान खाने को....

धीरे-धीरे सब भोग के रूप में चरणों में आ रहा है,

और यह सब देखकर मेरा मस्त मोला पेट गुदगुदी मचा रहा है।।


विधा - हास्य

स्वरचित व मौलिक

©चारु चौहान

3 likes

Published By

Charu Chauhan

Poetry_by_charu

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Mayur Chauhan · 4 years ago last edited 4 years ago

    Hehehehehe.....

Please Login or Create a free account to comment.