होली

होली है रंगों संग प्रेम की बौछार मिलकर मनाए जिसे सब परिवार। उछल-कूद करते सब हो बिंदास चुन्नी-मुन्नी हैं पिचकारी लिए तैयार।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 17 Mar, 2022 | 1 min read
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होली नहीं है बस रंगों का त्योहार

लेकर आता है संग ख़ुशी-सौहार्द। 

समाई इसमे गुझियों की मिठास

है मठरी नमकीन की भी दरकार।


गुलाल हवा में जब-जब उड़ता 

उत्साह और उमंग ह्रदय में भरता।

शिकवे-गिले भी लगते होने दूर 

रूठे दिलों को यह गले मिलवाता।


इंद्रियां पल भर में तृप्त हो जाती

तीखा दही वडा जब मुँह में घुलता।

ढोल बजने पर मंज़र ही निराला 

दिखता सबका चेहरा नीला-काला। 


होली है रंगों संग प्रेम की बौछार 

मिलकर मनाए जिसे सब परिवार। 

उछल-कूद करते सब हो बिंदास

चुन्नी-मुन्नी हैं पिचकारी लिए तैयार। 


लोक गीतों के अलग ही जलवे, 

घर-घर में पकते पूड़ी और हलवे। 

होलिका दहन की अग्नि जलती, 

नयी फसल की पहली बाली भूनती। 



बच्चे-बूढे सबको यह होली भाये 

विजयी है प्रेम सदा, पाठ पढ़ाये। 

जाति-धर्म-समुदाय नहीं यह बाँटता 

भाइचारे से एकजुट रहना सिखलाये। 


©चारु चौहान 

स्वरचित व अप्रकाशित

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Charu Chauhan

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