पुरुषोत्तम अर्थात् पुरुषों में जो सबसे उत्तम है। श्री राम, भगवान् विष्णु के त्रेतायुग में लिए गए छठें अवतार है। चूकिं उन्होंने अवतरित ना होकर सामान्य बालक के रूप में माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया और पूरा जीवन साधारण मानव की तरह व्यतीत किया इसलिए इन्हें पुरुष का दर्जा भी प्राप्त है। श्री राम ने सदैव मर्यादा में रहकर अपने माता पिता और गुरुजनों के वचनों का पालन किया। रामजी के समान मर्यादा में रहकर पूरा जीवन यापन करने वाला कोई और इस धरती पर नहीं हुआ इसलिए श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम भी उच्चारित किया जाता है।
विष्णु जी का अवतार होने के कारण वह हमारे लिए पूजनीय हैं। भगवान् राम ने धरती पर रहते हुए कईं प्राणियों का उद्धार किया उनमें प्रमुख नाम आता है माता अनुसूइया का, शबरी और केवट का । हम सभी जानते हैं भगवान् राम का जन्म रावण का वध करने के लिए हुआ था। लेकिन उनके जीवन के और भी पहलू है जो उन्हें महान बनाती हैं। वह एक तरफ जहां आज्ञाकारी पुत्र थे वहीं दूसरी और एक शूरवीर योद्धा। एक तरफ छोटे भाइयों के लिए स्नेह से भरे हुए पिता समान भाई तो दूसरी और एक आदर्श पति थे। श्री राम ने राजधर्म निभाने हेतु, सीता जी को वन भेजा। परंतु उन्होंने माता सीता का स्थान किसी और को नहीं दिया और सदैव उन्हें अपने हृदय में रखा। यह एक आदर्श पति का ही रूप है। श्री राम ने अपने सारे कर्तव्य मर्यादित रहते हुए निर्वाह किए।
भगवान् राम के जीवन की छाप की छाया में ही मेरा बचपन बीता। परिवार और स्कूल में रामायण की चौपाइयां अक्सर सुनने को मिलती थी। घर का माहौल कुछ ऐसा था कि प्रतिदिन शाम को हमें कोई न कोई ग्रंथ या ऐतिहासिक विषय पर बताया जाता था। वही से भगवान् राम को सबसे पहले मैंने जाना। स्कूल में कक्षा द्वितीय में जब "रामायण की कथायें " विषय आया तब राम जी के जीवन को और विस्तृत से जानने का अवसर मिला। हमारे घरों में आय दिन
रामायण पाठ किए जाते हैं। राम जी की जितनी बात की जाए कम ही रहेगी अंत में मैं सिर्फ एक चौपाई सुनानी चाहूँगी जो भगवान् राम की शरण प्राप्ति के लिए है,
'सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना।।
धन्यवाद 🙏
चारु
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
जय श्री राम 🙏
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