रिमझिम बरसात और इसके दोहरे ज़ज्बात,
कहीं पकौड़ोंं संग इलायची की चाय की प्याली,
तो कहीं टपकती छत का पानी सींचती कोई बेचारी ।
एक तरफ बरसात में भीगती-दौड़ती मन मयूर को नचाती अल्हड सी लड़की,
तो कहीं बारिश के पानी में आँसू छिपाती कोई पागल दीवानी ।
कहीं कोई चाय की टपरी में छिपने की नाकाम कोशिश करता हुआ नौजवान,
तो कोई छाता उड़ाता आसमान को चुनौती देता सा खुद्दार।
कहीं गड्ढे के पानी में छ्प-छपाक करते आनंदित से बच्चे,
तो कहीं प्लास्टिक की बोरियों से घर को बचाने में लगा जिम्मेदार सा बचपन।
सच में बारिश एक और इसके रूप अनेक।
स्वरचित व मौलिक
© चारु
Comments
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बहुत खूबसूरती से दर्शाया है।
Very nice
Thank you guys
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