दोस्तो, सुरक्षा वैसे तो सभी के लिए अहम होती है लेकिन जब बात आती है लड़कियों या महिलाओं की तो यह और भी अहम हो जाती है। आप घर पर हो,,बाहर हो या दफ्तर में सुरक्षा सभी जगहों पर जरूरी है l देश में महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए अपराधों और होता शोषण देखते हुए ये जरूरी हो जाता है कि हम अपनी सुरक्षा स्वयं करना सीखें.... इसके लिए जरूरी है कि आप आत्मरक्षा की तकनीकें सीखें ,, जब भी घर से बाहर निकले अपने पास मिर्च स्प्रे या कोई भी बचाव की डिवाइस आवश्यक रूप से रखें और आवश्यकता पड़ने पर बेझिझक उनका इस्तेमाल करें। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि हमारे पास ये सब होता नहीं है या इतना बड़ा कुछ करने की कई बार जरूरत महसूस नहीं होती है... तो चाहिए कि पहले तो आप डरे नहीं और जो भी आपके पास उस समय हो उसे होशियारी से इस्तेमाल करें.. फिर वो चाहे हमारे साड़ी, दुपट्टे मे लगाने वाली सेफ्टी पिन ही क्यूँ ना .... जब इसकी बात हम कर ही रहें तो इस से जुड़ा एक वाक्या आपको सुनाती हूूँ जो वैसे तो काफी पुराना हो गया है फिर भी बताना चाहती हूँ क्युकी उस समय मिर्च स्प्रे जैसी चीज़ें इतनी सामान्य नहीं थी और कम ही उपलब्ध होती थी।
बात है मेरी एक फ्रेंड की बड़ी बहन( जो मेरी भी दीदी हैं) और उनकी एक सहेली की। जब वो ग्रैजुएशन कर रही थीं.. उन्हें अपने कॉलेज प्राइवेट बस से जाना हुआ करता थाl और प्राइवेट बस की हालत उस वक़्त कुछ ज्यादा अच्छी नहीं हुई करती थी। हम लड़कियों को उस समय काफी स्ट्रगल करनी पड़ा करती थी। उन्हीं दिनों एक लड़के ने दीदी की फ्रेंड को बस में परेशान करना शुरू कर दिया कभी लगातार घूरते रहना कभी अजीबोगरीब टिप्पणियां करना तो कभी पीछे पीछे आना। फिर कई बार बात करने की कोशिश भी वो करता रहता था । यह बात काफी पुरानी है तो उस समय लड़कियों का ये बात घर पर बता देना उतना आसान नहीं था खैर...हद तो तब हो गई जब एक दिन पास में सीट पर आकर बैठ गया और उसने बहाने से हाथ पैर चलाकर छेड़खानी शुरू कर दी। दीदी की सहेली उस लड़के को टोका...लेकिन वो नहीं माना। उस टाईम वह लड़की थोड़ा डर भी गयी और पास बैठी दीदी को बताया। लेकिन दीदी हमारी डरने वालों में से नहीं थी उन्होने तुरंत दुपट्टे से एक सेफ् पिन निकाली और थमा दी अपनी सहेली के हाथ में और बोली गलती उसकी है। ये पिन जितनी जोर से चुभा सकती है चुभा दे आज। शायद फिर इस बेअक्ल को अक्ल आ जाए। उन्होने भी हिम्मत करते हुए वो पिन, जैसे ही लड़के ने हाथ चलाया टच करने के लिए चुभा डाली... वो लड़का तुरंत खड़ा हो गया और 2 मिनट तो दोनों लड़कियों को देखता रह गया। शायद उसे इस प्रतिक्रिया की उम्मीद भी नहीं थी....। उसके बाद चुपचाप दूर जाकर खड़ा हो गया और तो और उसने अपना रोज रोज का ड्रामा भी उसने बंद कर दिया शायद वो समझ गया हो कि लड़की कमजोर नहीं है। वह अपनी सुरक्षा के लिए खुद भी कदम उठा सकती हैं।
जब मेरी फ्रेंड ने हमे ये बात बतायी पहले तो बहुत हंसी आई थी लेकिन बात काबिल-ए-तारीफ थी। तारीफ थी दीदी की समझदारी और निडरता की। उस दिन हमे लगा कि जैसे सेफ्टी पिन ने सही मायने में 'सेफ्टी' की हो।
मुझे इस वाक्ये में तब से लेकर अब तक यही समझ आता है कि एक छोटी से छोटी चीज़ भी समय आने पर हमारी मदद कर सकती हैl आप कभी भी किसी परेशानी में पड़ जाए तो बिन डरे जो भी आपके पास उस टाईम हो समझदारी से अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल करो।
इसके लिए बचपन से ही माता पिता को भी बच्चों का मनोबल बढ़ाते रहना चाहिए। जिससे उनका आत्मविश्वास बना रहे तथा समय पड़ने पर ठोस कदम उठाने में वो हिचकिचाए ना l बेटियों से बात किजिए उनको भरोसा दिलाएं कि आप उनके साथ रहेंगे तो अगर उन्हें कोई परेशान करने की कोशिश करता है तो वो आपसे यह बात खुल कर समय पर बता पाएंगी। उन्हें बताइए कि वो अपने आप को मानसिक या शारीरिक रूप से किसी से कम ना समझे..... ।
© चारु चौहान
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Inspiration story
Thank you Mam
very nice
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