नई मंजिल

नई मंजिल पाने चले हैं, पुराने कारवां ले लेकर।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 31 Jan, 2021 | 0 mins read
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नई मंजिल पाने चले हैं

पुराने कारवां ले लेकर,

लजा कर एक दिन आ ही जाएगी झोली में

किसी पुराने रास्ते की मेड़ पर,


भोर की किरण नई मंजिल की द्योतक,

संघर्ष करते चलो निरंतर,

एक दिन हौसलों से नैया पार हो जाएगी,

पुराने जज़्बातों का चोंगा पहने,

नई मंजिल नाचेगी आँगन में ।


नई मंजिल चूमने चले हैं,

पुराने जोश की उंगली पकड़कर

शर्माकर एक दिन आ ही जायेगी आगोश में

पुराने चादरों की सिलवटों में।।


© चारु चौहान
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Charu Chauhan

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