"किनारा"

एक पल के लिए ही सही, किनारे पर रुक कर ठहर जाने का जी चाहता है।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 02 Feb, 2021 | 1 min read
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हर मानुष रखता है मन में,
कल्पनाओं का समन्दर,
विचारों की लहरें और सोच का बवंडर, 
शनावर है अपने ख़्यालों के दरिया का....
योद्धा ह्रदय में उत्पन्न द्वन्द्व-प्रतिद्वन्द्व के तूफानों का,
किंतु चाहता है वह कभी-कभी एक किनारा,
मझधार में अटकी ख़्यालों की अमूर्त नैया को। 
डोलती हिलती सोच की लहरों को, 
रोकना चाहता है वह कुछ क्षण किनारे से, 
वह चाहता है कभी कभी पल भर का ठहराव, 
कल्पनाओं में उमड़ते विचारों को किनारे का साथ।।


स्वरचित
© चारु चौहान


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Charu Chauhan

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