अरे... तुम्हें अलग अलग डिशेज बनानी आती है....? लेकिन तुम तो साईंस स्ट्रीम से हो ना...? तो फिर कैसे बना लेती हो ? तुम्हें डांस आता है.... लेकिन मैथ्स के बच्चे तो ज्यादा ये सब नहीं कर पाते....। ओह...! तुम लिखती भी हो...पर कैसे ?? तुम तो शायद आर्ट से नहीं हो ना....और ये तो आर्ट वाले करते हैं फिर तुम कैसे ऐसे टॉपिक पर लिख पाती हो भई.....!!!
किसी और का तो पता नहीं लेकिन मैं तो ये सब सुनती रहती हूँ...बस समय के साथ सुनाने वालों के तरीके जरूर थोड़े बदल गए हैं । अरे भई....इन्हे ये क्यू नहीं समझ आता कि मैथ्स या साईंस मेरे सब्जेक्ट हैं, और बाकी सब मेरे शौक...कोई भी कला किसी एक की तो नहीं होती ना । और शौक तो हमारी पढ़ाई से अलग भी हो सकते हैं ना...
अब अगर कोई साईंस से पढ़े तो ये क्या धारणा बना लो कि इसे खाना बनाना नहीं आता होगा... ये डांस नहीं कर सकती, लिख नहीं सकती, सज नहीं सकती संवर नहीं सकती....????अगर कोई आर्ट से पढ़ा है तो क्या लैपटॉप पर अपनी उँगलियों का कमाल नहीं दिखा सकता या innovative नहीं सोच सकता......या टैक सेवी नहीं हो सकता ???
अब अगर कोई बायोलॉजी से पढ़े तो, क्या वो सिर्फ insects और animals मे, केमिस्ट्री वाला फॉर्मूले मे , मैथ्स वाला Pythagoras मे और फिजिक्स वाला बेचारा न्यूटन के laws मे ही उलझा रहें......? ये लॉजिक मुझे तो कभी समझ नहीं आता।
पहली बार मैंने ऐसा अपने लिए अपनी 9th क्लास के टाईम में सुना था... और जबसे आज तक अलग अलग तरह से सुनती ही रहती हूँ । एक महाशय ने पूछा था तब, कि खाना बनाना जानती हो....? मैंने भी कहा... हाँ जी जानती हूँ और लगभग पूरा ही जानती हूँ,,,,करते नहीं हैं काम वो बात अलग है क्युकी स्कूल और ट्यूशन से उतना टाईम नहीं बचता। तो वो बोले... लगता तो नहीं है शक्ल देख कर और है भी मैथ्स की, तो साईंस वाले इतना सब कहाँ जानते हैं, मुझे तो यकीन नहीं होता। अब नहीं होता है यकीन तो मत करो, अब मै क्या कर सकती हूँ। और शक्ल मैं ऐसा भी क्या था वो भी मैं समझ नहीं पायी थी। इसके बाद ऐसे और भी कई मौके आएं जब जब मुझे ये सब सुनना पड़ा... कभी सब्जेक्ट से तो कभी मैं शक्ल से, काम में फिट नहीं बैठती थी...।
हालांकि 11th में जब हमने 12th वालों की फेयरवेल पार्टी की थी तब तैयारी से लेकर मंच तक, मंच पर होने वाले कार्यक्रम से लेकर एंकरिंग तक का 90% मोर्चा साईंस वालों ने संभाला था। और यह हमारे कॉलेज के इतिहास में उस वक़्त पहली दफा हुआ था। वैसे उस समय कुछ कारणों से मैंने participate तो नहीं किया था लेकिन प्रोग्राम के बाद जौहरी मैम ( जो कि उस समय हमारी फिजिक्स टीचर थीं और काफी सारे बच्चों को खडूस लगती थीं) ने जो कहा था मुझे सुनकर बहुत अच्छा लगा था। "उन्होने कहा था कि आज पहली बार साईंस के बच्चों को मैंने इतना सब कुछ मंच पर करते देखा है और मुझे खुशी है कि ये बच्चे भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इतना बढ़ चढ़ हिस्सा ले रहें हैं। जो कभी सिर्फ कला वर्ग की छात्राओं को करते मैंने देखा है। " अच्छा लगा था उस टाईम ये सुनकर क्युकी उन्होने मजाक नहीं सपोर्ट किया।
लेकिन ये बातें पूरी तरह आपका पीछा कभी नहीं छोड़ेगी ये भी मैंने देखा है। कुछ टाईम पहले मेरी जगह बदली, अब जहां रह रही हूँ मिलता तो सब कुछ है लेकिन टैस्ट मुझे पसंद नहीं आता , एक दिन यही बात सभी लड़कियाँ बैठी थीं बोल दीं और साथ ही ये कि अब यहां जो भी खाना हो ख़ुद ही बनाना पड़ता है चाहे टिक्की हो या चाहे लड्डू या फिर और भी कुछ , समय हो चाहे ना हो ख़ुद ही बनाओ । मेरा इतना बोलना था कि हो गए साथ वाले शुरु.... अच्छा बना लेते हो घर पर ही सब?? क्या क्या बना लेते हो ?? कैसे बना लेते हो ??? लेकिन तुम तो बैच में पढ़ने में भी सबसे तेज हो....????
और एक बोली कि आप हो कहाँ से वैसे.. ?? मैंने कहा यूपी वेस्ट, बस... इसके बाद तो इस बार कुछ नया ही सुनने को मिला, मैडम ने बड़े ज़ोर से खींच कर कहा ओहह्......अच्छा, फिर तो हाँ बना लेती होंगी वहाँ की लड़कियों को ये सब आता है हां। मैंने ये सुना तो मैं ये नहीं समझ पायी कि ये तारीफ है या कोई ताना....? मेरे टैलेंट, मेरे शौक को एक जगह से इस तरह जोड़ कर, मैडम जी ने एक पल मे धज्जियाँ उड़ा दी।
वैसे आज कल तो सभी बच्चे एक साथ अलग अलग क्षेत्रों में प्रतिभावान हैं। और उनके लिए इस बात को सब समझते भी हैं फिर हमारे साथ ऐसा क्यू है अब तक ?? ख़ैर मैंने अब इस बारे में ज्यादा सोचना छोड़ दिया है। जब कोई ऐसा कहता है तो सब मुस्कुरा देती हूं। क्योंकि स्कूल सब्जेक्ट से इतर भी हैं मेरे शौक ।
क्युकी मेरा तो बस यह मानना है कि मेरे शौक हैं तो मैं ज़िंदा हूँ और मज़े मे हूं। तो आप भी कभी किसी के कहने से अपने शौक ना बदले और ना छोड़े। क्युकी शौक है तो ज़िन्दगी है वरना खाने कमाने में तो ज़िन्दगी निकल ही रही है ।
अगर आपका भी ऐसा ही सोचना है तो मुझे बताइएगा जरूर।
Thank you for reading.....!
Charu Chauhan
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👌👌👌
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