सुन लड़की

महिला दिवस पर लिखी मेरी कविता।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 08 Mar, 2021 | 1 min read
International Women's day poem by heart Equality pageant Women's life
सुन गली की लड़की, घर की इज्ज़त, 
और बड़े घर की नारी, 
घमंड में आ ना जाना, 
सुन आज सबके भाषण और किस्से कहानी। 

व्हाटसप और फेसबुक पर स्टैटस लगाएंगे,  
आज नारे लगा-लगा कर तुम्हें सर पर बैठायेंगे, 
लेकिन कल फिर तुम्हें, 
अपने पैरों में झुकाने के प्रयास में लग जाएंगे। 

सुन, घमंड में ना आ जाना
सुनकर अपनी उपलब्धि इनकी जुबानी। 


कुछ बुद्धिजीवी और कमाल कर जाएंगे। 
क्या कमी रखी है तुम्हें कहकर, 
क्या है यह महिला दिवस का नाटक-वाटक, 
इसे ढकोसलों और फेमिनिस्ट का नाम दे जाएंगे।

सुन, टूट ना जाना 
सुनकर ऐसे मौका परस्त बुद्धिजीवियों की नादानी। 


पूर्वग्रसित रखते हैं सोच, 
फिर भी, खुद को नयी सोच का दिखाने के लिए, 
खुद को सच्चा और आपको झूठा बताने के लिए, 
शान से तुम्हें ही पूर्वग्रसित कह जाएंगे। 

सुन, घबरा मत जाना 
सुनकर दोहरे चरित्र वालों की नाहक वाणी। 


आज तुम्हें पूजने का भी ढोंग रचायेंगें,  
स्त्रियां देवी रूप हैं कहकर, महफिलों में ताली बजायेंगें, 
लेकिन छोटी-छोटी बच्चियों को देख विरान में, 
खुद पर काबू ना रख पाएंगे। 

सुन, डर ना जाना
सुनकर तू चंडी ही बनना, चूर करना खोखली मर्दानगी।।


स्वरचित व अप्रकाशित

© चारु चौहान




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