पिंक बेबी ब्लू बेबी

अभिभावक होने के नाते हमारा फर्ज है उनकी परवरिश बेहतर ढंग से करना। उन्हें नैतिक, अनैतिक का ज्ञान देना और उनके चरित्र का निर्माण करना। पढ़िए यह कहानी और कॉमेंट बॉक्स में अपने विचार ज़रूर बतायें।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 31 Dec, 2021 | 1 min read
paperwiffkids Children Gender discrimination #education

चौधरी परिवार में उत्सव का माहौल है। घर में पूजा रखी गयी है। चिर परिचितों को दावत दी गयी है। रागिनी और केशव आज बहुत ख़ुश हैं। हो भी क्यों ना, ग्यारह दिन पहले उनके घर परी ने जो जन्म लिया है। छः साल का एक बेटा भी है आदित्य उर्फ़ आदि, सबकी आँखों का तारा ख़ास कर दादी का। कुल मिलाकर हँसता खेलता छोटा सा सुखी परिवार है।

धीरे-धीरे सभी मेहमान आने लगे थे और छोटी गुड़िया को आशीर्वाद स्वरूप उपहार दे रहे थे। आदित्य ख़ुश होकर सब कुछ देख रहा था। छोटी बहन के साथ-साथ कुछ उपहार उसे भी मिल रहे थे जिन्हें पाकर उसकी ख़ुशी और बढ़ती जा रही थी। आदित्य बहुत उत्सुकता से इंतज़ार कर रहा था कि कब पूजा और खाना खत्म हो और उसे गिफ्ट देखने का मौका मिले। ख़ासकर अपनी प्यारी बुआ कविता का गिफ्ट देखने के लिए वह उतावला हुआ जा रहा था। दादी तो नन्ही गुड़िया की बलैया लिए जा रही थी, उनके अनुसार बेटे-बहू का परिवार जो पूरा हो गया था। आख़िरकार सब काम बहुत ही अच्छे और ख़ुशी के साथ पूरा हुआ। कविता भतीजे और भतीजी के साथ थोड़ा और समय बिताने के लिए मायके में ही रुक गयी।

शाम को सिलसिला शुरू हुआ उपहारों को खोलने का। किसी ने कपड़े दिए तो किसी ने खिलौने। सभी गिफ्ट बहुत अच्छे लग रहे थे। अब बारी आयी बच्चों की बुआ के गिफ्ट की, एक बड़ा सा बॉक्स आदित्य के हाथों में था हालाँकि संभालना मुश्क़िल था लेकिन केशव ने उसके नन्हें हाथों को सहारा दिया। बॉक्स में बेटी के लिए बहुत प्यारी नीले रंग की फ्राक थी साथ ही कुछ खिलौने दोनों बच्चों के लिए और एक प्यारा सा गहना था। नीचे आदि के लिए भी गिफ्ट था हल्के पिंक कलर की प्यारी टी-शर्ट और डेनिम जीन्स। सभी को कविता का उपहार बहुत पसंद आया। लेकिन आदि तुरंत बोला यह क्या बुआ??? मेरे लिए पिंक कलर के कपड़े लायी और बहन के लिए ब्लू। क्या आपको नहीं पता लड़के पिंक कपड़े नहीं पहनते यह तो लड़कियों का रंग है। मैं यह नहीं पहनूँगा।

आदित्य की यह बात सुनकर सभी चौंक गए क्योंकि घर का माहौल तो ऐसा नहीं है। उनके घर में इस तरह की बातें बच्चों को नहीं सिखाई जाती थी। रागिनी आदि को डांटने लगी तब ही कविता ने तुरंत अपनी भाभी को रोका और प्यार से आदि से पूछा- बेटा आपसे किसने कहा ऐसा? सारे रंग सबके होते हैं आदित्य। प्यार से पूछने पर आदित्य ने बताया कि उसे यह बात एक दोस्त से स्कूल में बतायी। लड़के पिंक कलर नहीं पहनते ब्लू पहनते हैं और लड़कियाँ पिंक कलर पहनती हैं। आप मेरे लिए पिंक कलर लायी और बहन के लिए ब्लू, कहते-कहते आदि रोने लग गया। सभी ने मिलकर उसे चुप कराया। प्यार से उसे समझाया कि रंगों का जेंडर से कुछ लेना देना नहीं है। लड़का या लड़की कोई भी हो कोई भी रंग पहन सकते हैं। बहुत समझाने के बाद आदित्य इस बात को समझ गया और ख़ुश होकर बुआ को थैंक्स यू बोलकर उनके गले लग गया। कविता ने कहा- भाई-भाभी हम बच्चों को क्या शिक्षा देते हैं यह मायने रखता है लेकिन बच्चों के आसपास दूसरे बच्चे कैसे हैं यह भी मायने रखता है। स्कूल से आने के बाद स्कूल में हुई बातों के बारे में आदित्य से प्यार से ज़रूर पूछें कि दोस्तों से क्या बातें हुईं। जो बात ग़लत लगे तब ही समझाएं।

आदित्य तो समझ गया लेकिन अभी भी ना जाने कितने बच्चे यही समझते हैं। अभिभावक होने के नाते हमारा फर्ज है उनकी परवरिश बेहतर ढंग से करना। उन्हें नैतिक, अनैतिक का ज्ञान देना और उनके चरित्र का निर्माण करना । यदि आप बेटे के अभिभावक है तो बहुत जरूरी है उसे बताएँ कि वह लड़कियों की इज्जत करे। हमेशा कठोर नहीं वह भावुक भी हो। समाज में सभी लिंग को समान दर्जा वह दे। और यदि आप बेटी के अभिभावक है तो उन्हें भी एहसास कराएं कि वह किसी से कमतर नहीं है। वह भी अपनी पसंद नापसंद के लिए उतनी ही स्वतंत्र है जितना कि कोई और। साथ ही ज़रूरी है रंगों के बीच का भेद मिटाने की भी। अपने बच्चों को समझाया जाए कि रंगों का कोई जेंडर नहीं होता। यह सिर्फ़ पसंद का मामला है।

लेकिन क्या यह सब अकेले परिवार से मुमकिन है??? मेरा जवाब है नहीं.... । बच्चे की सोच और चरित्र निर्माण दोनों में परिवार के साथ साथ उसके आस-पास का समाज भी बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। और एक बच्चे का समाज होता है स्कूल। जहां भिन्न भिन्न परिवेश के बच्चे साथ होते हैं। इसलिए आवश्यक है कि सभी इस ओर ध्यान दें क्योंकि माना एक परिवार बच्चे को अच्छी सीख रहा है लेकिन दूसरा नहीं, तो उससे दूसरे बच्चे भी प्रभावित होंगे। स्वस्थ समाज के लिए सभी का सहयोग आवश्यक है क्योंकि बच्चे पिंक बेबी ब्लू बेबी नहीं होते।


मौलिक व अप्रकाशित

© चारु चौहान

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Charu Chauhan

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    संदेशप्रद कथा

  • Charu Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    धन्यवाद संदीप 🙏

  • Surabhi sharma · 2 years ago last edited 2 years ago

    अच्छी कहानी

  • Charu Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    Thank you #Surabhi ji

  • Mayur Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    Well done

  • Dakshal Kumar Vyas · 2 years ago last edited 2 years ago

    Nice

  • Charu Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    Thanks Dakshal

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