दस्तक दे जाते हैं दिल में गाहे बगाहे, आसमान को उछलकर छू लेने के ख़्याल, पानी को मुट्ठी में कैद कर संजो लेने के ख्वाब, चिडिय़ों की भाँति फुदक- फुदक कर चहचहाने के ख़्याल, हवा के जैसे बेटोक-बेरोक बहने के ख्वाब, खेतों की पगडंडी पर मस्तमौला गन्ने चूसने का ख़्याल, नभ के सारे तारे आँचल में भर लेने का ख्वाब, सूरज की किरणों से आँखें लड़ाने का ख़्याल, कभी-कभी मगरूर रह, आईने में खुद को निहारने का ख्वाब, वक्त को कैद कर चोटी में बांधने का ख़्याल, आ जाते है दिल में गाहे-बगाहे... कुछ बहके हुए से ख़्याल।।
स्वरचित © चारु चौहान
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Nice
thanks
Beautiful
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