संग तुम्हारे

मन के सच्चे भावों की अभिव्यक्ति।

Originally published in hi
Reactions 2
891
Charu Chauhan
Charu Chauhan 19 Feb, 2021 | 1 min read
confession 1000poems poem14 promises love & care

नहीं जानती करना राधा सा प्रेम मेरे कन्हैया, 

हलाहल मीरा के जैसे पीने की भी, नहीं मुझमें क्षमता। 

सीता सा त्याग कर पाऊँ मैं, यह प्रण भी थोड़ा भारी है, 

सती सी अग्नि में जल जाऊँ, कहना यह भी जरा मुश्किल है।

परतुं, हर क्षण रहूँगी तेरा साया बनकर, 

दुःखों को तुझ से पहले स्वयं पर ले लूँगी, 

प्रिय, यह वचन मैं तुम्हें दे सकती हूँ। 


दुःसाध्य कितनी ही, जीवन की तुम्हारी डगर रहे, 

प्रीत के धागों में लिपटी चलूँगी संग तुम्हारे,

यह आश्वासन गीता पर हाथ रखकर मैं दे सकती हूँ। 

नैया डूबती संबल की ग़र हो, 

सैलाब उमड़ रहा हो सीने में, 

उस पल सब्र का प्याला, पिलाने का वादा करती हूँ, 

देखो, हर क्षण संग तुम्हारे चलने की हृदय से प्रतिज्ञा मैं करती हूँ।

स्वरचित © चारु चौहान
2 likes

Published By

Charu Chauhan

Poetry_by_charu

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.