दूरी है ज़रूरी

मौजूदा हालात में "दूरी है ज़रूरी" लेकिन मन की व्यथा बताती मेरी कविता।

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Charu Chauhan
Charu Chauhan 05 May, 2021 | 1 min read
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लौट आयें कदम उसकी चौखट से दबी जुबान, 

बात मेरी उसकी, अब एक कॉल की मोहताज है, 

वीडियो कॉल भी अब कहाँ अच्छे लगते है, 

ख़ूबसूरत लगने वाले ढलते दिन, दहकते से लगते हैं, 

लगती हृदय गति अब बस कंपन मात्र है, 

चल रहीं हैं सांसे, पर हर साँस जैसे अंगार है, 

कुछ ज़ख़्म सी रही हूँ ढलकते अश्रुओं से, 

पर कुछ को उसके हाथों मरहम की दरकार है, 

कुछ पल आराम चाहिए का नारा दम तोड़ रहा है 

हद से ज्यादा आराम, सुकून को निचोड़ रहा है, 

"स्वीट होम" में रहना कैद सा लगने लगा है, 

कुछ तो है विचित्र, जो ख़ुद में भी खलने लगा है, 

कोशिशें तमाम निष्फल होती नज़र आ रहीं हैं, 

बढाएं क़दम लौट आयें उसकी चौखट से यूहीं 

क्योंकि जानती हूँ बख़ूबी, इस पल दूरी है ज़रूरी।। 


स्वरचित व मौलिक
© चारु चौहान


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Charu Chauhan

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    शिक्षात्मक रचन

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    Bahut badiya👌👌 sach me aaj yahi situation he

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद दोस्तों 🙏

  • Shah طالب अहमद · 3 years ago last edited 3 years ago

    So true and melted with amazing situation ..

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