रोहन आँखे नीचे कर के खड़ा था और विनीता ( रोहन की माँ) उसे डांट रही थी और बार बार यही पूछ रही थी कि उसने ऐसा क्यू किया?? अगर उसे कुछ चाहिए था तो घर आकर मम्मी या पापा को बताना चाहिए था। तभी सरला जी ( रोहन की दादी) और अंजलि ( बुआ) कमरे में दाखिल हुई। आते ही बोली ऐसा भी कुछ नहीं किया है बेचारे ने, जो तुम इतने सवाल जवाब बच्चे से कर रही हो...?? तभी अंजलि भी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली - हाँ भाभी सही ही कह रही हैं मम्मी, इतनी भी बड़ी बात नहीं है ये सब तो बच्चो मे होता ही रहता है ।
जो रोहन अभी तक आँखे नीचे करके खड़ा हुआ था, अपना पक्ष लेती दादी और बुआ को देख कर उसकी आँखे अचानक ही विनीता को घूरने लगी थी। सास और ननद को बीच में इस तरह बोलते देख विनीता अपना गुस्सा दबाकर वहां से चली गयी। दादी ने पुचकारते हुए रोहन को प्यार जताया और साथ ही आश्वासन भी दिया कि वह अब डरे नहीं, मुकुल ( रोहन का पापा) भी उसे अब कुछ नहीं कहेगा।
हुआ कुछ यूं था कि आदित्य और रोहन एक ही क्लास (4th) में पढ़ते हैं। कल रोहन जैसे ही क्लास में पहुँचा उसने आदित्य के पास एक नयी तरह का डोरेमोन वाला पेन देखा जिसमे लाइट भी जलती थी। रोहन ने कल ही सोच लिया था कि कुछ भी करके उसे भी वह पेन चाहिए। तो आज मौका पाकर लंच टाईम में रोहन ने आदित्य के बैग से पेन चुरा तो लिया लेकिन ऐसा करते हुए उसे एक लड़के ने देख लिया। उसी के चलते स्कूल से टीचर ने विनीता को स्कूल बुलाया था। काफी कुछ सुनना पड़ा उसे प्रिंसिपल से। इसी लिए वह घर आकर रोहन से सवाल जवाब कर रही थी, जानना चाह रही थी कि उसे ऐसा करने की जरूरत क्यू लगी....??
रोहन घर में इकलौता बच्चा है तो दादा दादी, चाचा, बुआ सबका लाडला है। ऐसा नहीं है कि विनीता को उसकी फिकर नहीं या प्यार नहीं लेकिन गलत तो गलत होता है। साथ ही उसका ऐसा उसका मानना है कि गलत करने पर बच्चे को समझाना बहुत ज़रूरी बात है। लेकिन घर में उसे कोई कुछ कहने ही नहीं देता बचपन से। फालतू की भी सभी ज़िद पूरी की जाती है शौक के साथ, जिससे रोहन ज़िद्दी के साथ साथ अब थोड़ा अकड़ू भी हो गया है। माँ अगर कुछ भी समझाना चाहती तो तुरंत रोता हुआ दादा दादी के पास पहुंच जाता। और अब यही उसकी आदत बन गयी थी।
धीरे धीरे समय बीतता गया.... अंजलि की भी शादी हो गयी। रोहन की बढ़ती उम्र के साथ साथ उसके हाथ अब धीरे-धीरे दादा दादी के पर्स तक भी पहुंचने लगे, जो दादी को अब बुरा लगता था । एक दिन अंजलि मायके आई हुयी थी । रोहन ने मौका पाकर अपनी बुआ के पर्स में भी हाथ साफ कर दिया... पता चलने पर अंजलि ने घर में बहुत हंगामा किया। कहने लगी भाभी सारा दोष आपका ही है... कुछ सिखाती ही नहीं हो आप रोहन को। ऐसे कौन करता है भला??? कुछ तो मॉरल वैल्यू सिखानी चाहिए आपको। मम्मी भी बता रही थीं कि उनके पर्स से भी रोहन कई बार पैसे चुरा चुका है। मैं शाम को भैया से भी बात करुँगी कि आप नहीं कर पा रही हैं रोहन की परवरिश ढंग से। अब फैसला शाम को ही होगा।
विनीता बार बार कहना चाह रही थी कि कैसे सारा दोष उसका ही है। अंजलि द्वारा उसे एक फेलियर माँ कहना उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे। लेकिन उसने कुछ सोच कर अपने आँसू आँखों में ही सुखा लिए और शाम का इंतजार करने लगी।
शाम को जैसे ही मुकुल घर आया अंजलि अपने रटे रटाये बातों के साथ शुरू हो गई। मुकुल को बहुत बेइज्जती महसूस हो रही थी और विनीता पर भी गुस्सा आ रहा था। उसने रोहन के साथ साथ विनीता को भी डांटना शुरू कर दिया। रोहन को कमरे में भेज उसने विनीता से कहा - विनीता तुम कैसे इतनी लापरवाह हो सकती हो? अकेला बेटा है हमारा, तुम उसकी परवरिश भी ठीक से नहीं कर पा रही हो। ऐसे तो एक दिन पूरी तरह बिगड़ जाएगा और अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेगा। क्या तुम्हें अपने बेटे की जिंदगी की बिल्कुल परवाह नहीं जो बिल्कुल ध्यान नहीं देती। मैं तो पूरा दिन बाहर रहता हूँ लेकिन तुम तो उसके करीब ही रहती हो बचपन से।
विनीता आज भी सारी बातें सुन रही थी लेकिन आज बाद में बोलने के लिए भी तैयार थी। जब सारी बातें बोल कर मुकुल चुप हो गया तब विनीता ने बोलना शुरू किया। मुकुल, क्या सारी ग़लती मेरी ही है?? बचपन में जब रोहन गलती करता था और मैं उसे समझाने की कोशिश करती थी तो आप सबका रवैया कैसा रहता था? यहाँ तक कि मम्मी जी ने तो एक बार मुझे ज़ालिम माँ तक कह दिया था। आप लोगों ना कभी रोहन को समझाने दिया और ना डांटने, तो उसके बिगड़ने में सारा दोष मेरा कैसे हुआ ?? मैं फेलियर माँ कैसे हुई? क्या कभी कोई माँ अपने बच्चे को बिगाड़ कर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर सकती है???
विनीता की बात सुनकर पास में खड़ी सरला जी नज़रे चुराने लगीं और अंजलि भी मुँह नीचे करके खड़ी हो गई। मुकुल को भी समझ नहीं आ रहा था क्या कहे....? क्योंकि विनीता ने जो कहा उसमें किंचित मात्र भी झूठ नहीं था। सरला जी और अंजलि बिन कुछ कहे वहाँ से चली गई। मुकुल ने विनीता से अपने बर्ताव के लिए माफ़ी मांगी और कहा अब हम दोनों को मिलकर अपने बेटे को सही राह दिखानी है। विनीता तुम फेलियर माँ नहीं हो, तुमने हमेशा हमारे बेटे के लिए सही सोचा बस मैंने ही कभी ध्यान नहीं दिया।
विनीता, मुकुल का बदला रूप देखकर और रोहन की ज़िम्मेदारी लेने की बात सुनकर बेटे के भविष्य के लिए थोड़ी आश्वस्त हुई।
धन्यवाद 🙏
चारु
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
सही कहा आपने.
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