Charu Chauhan
30 Aug, 2021
दरवाजे के उस ओर
मंजरी, दरवाज़ा खोलो। मैं आयी हूँ तुम्हें लेने के लिए। भर्राती आवाज़, मंजरी डर से पसीना-पसीना हो रही थी। गेट पर उठती आकृति देख उसके होश ही उड़ गए। वह भागना चाहती थी लेकिन हिल नहीं पा रही थी, आवाज़ गले में ही रुक गयी। तभी फोन की घंटी बजी, मंजरी की नींद पूरी तरह से खुल गयी। दूसरी ओर उसकी दोस्त राशि थी, जो फोन उठाते ही बोली- कहाँ है? दरवाज़ा खोल तुझे लेने आयी हूँ नहीं तो अंकल आंटी के बिना डर से तेरी हालत ख़राब हो जायेगी, डरपोक लड़की। मंजरी डर से अब भी काँप रही थी।
Paperwiff
by charudv3p6
30 Aug, 2021
रहस्मय
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