Charu Chauhan
25 Nov, 2020
"थमना"
बहुत कर ली भागदौड़,
अब ज़रा थमना चाहती हूँ।
चलते-चलते तलवों पर पड़े हैं जो छाले,
उनके लिए मलहम चाहती हूँ।
जाने कितनी दोपहरी सर पर से ऐसे ही गुजारीं,
थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन अब मैं छाँव चाहती हूँ।
उम्मीदों और अपेक्षाओं का बोझा...
सर से उतार फेंकना चाहती हूँ
बहुत कर ली भागदौड़,
अब ज़रा थमना चाहती हूँ ।।
Paperwiff
by charudv3p6
25 Nov, 2020
भागदौड़
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.