Charu Chauhan
17 Jun, 2021
'एक दौर था'
घूमते थे बेफिक्र एक झोला लिए,
कदम चार की जगह आठ चलते थे,
दाएं और बाएं क़दम बराबर दौड़ते थे।
बढ़ें हम तरक्की की ओर फ़िर अंध बन,
छोड़ते गएं ख़ूबसूरत रास्ते और मंजर,
बाँह थामी अंधकार और विनाश की।
समय रहा नहीं जहां कमी नहीं स्वार्थ की,
थक गए आज बहुत, मुसीबत बहुत लग रही,
चैन नहीं, जबकि ब्रांडेड बैग्स की भी कमी नहीं।।
Paperwiff
by charudv3p6
17 Jun, 2021
समय और हम
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