चीटिंगखोर ज़िंदगी

Life is uncertain.

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Nidhi Gharti Bhandari
Nidhi Gharti Bhandari 30 Jun, 2021 | 1 min read


ये ज़िंदगी कहने को तो हमारी है

पर हर बार कहाँ चलती हैं हमारे मुताबिक़!

कभी सरपट दौड़ती है बुलेट ट्रेन सी

कि साँस तक लेने की फुर्सत नहीं

और कभी ये रेंगती है धीमे-धीमे 

घिस रहे होते हैं इसके साथ हम भी

कभी इतनी बोझिल और ग़मों से भरी

कि हाथ छुड़ाना भी चाहो

तो ये ढीठ कसकर थाम लेती है

कहीं जाने नहीं देती

और कभी इतनी खुशियों से भर जाती है

मानों देख रहे हो कोई हसीन ख्वाब 

हम खुशियाँ बटोरते इत्मिनान से 

मुसकुराना शुरू ही करते हैं कि

ये धोखेबाज़

एक झटके में हाथ छुड़ाकर चल देती है।

बदमाश ज़िंदगी सुन

बेशक तू पक्की खिलाड़ी है

और खेलती है हमारे साथ

पर ज़रा तो ईमानदारी रख

वरना हमें नहीं खेलना तेरे साथ.

चीटिंगखोर ज़िंदगी...!!

निधि घर्ती भंडारी

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Nidhi Gharti Bhandari

Nidhi Gharti Bhandari

Comments

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  • anil makariya · 3 years ago last edited 3 years ago

    अच्छी कविता ।

  • Sushma Tiwari · 3 years ago last edited 3 years ago

    सच! Cheating करती है ये जिन्दगी कभी कभी 😊 प्यारी सी कविता

  • Jyotsana Singh · 3 years ago last edited 3 years ago

    यही तो करती है ज़िंदगी

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