प्रेम! चंद अक्षर के इस शब्द में है असीम शक्ति
हाँ, यह पत्थर दिल को भी
मोम बनाने की हिमाकत रखता है।
प्रेम! हाँ इस मार्ग पर भ्रमण करने वाला
हर शख्स, अपार सुख का
अनुभव करता है।।
प्रेम! हाँ इस दो अक्षर में है समाहित
अनगिनत गुण, जो मन मस्तिष्क पर
अमिट छाप छोड़ने में है सफल।।
प्रेम! हाँ इससे मित्रता करने वाला हर शख्स
ताउम्र मुश्किलों से भागता नहीं है बल्कि
मुस्कुरा कर सामना कर इतिहास रचता है।।
प्रेम! हाँ, प्रेम का हस्त थाम
हम सफलतापूर्वक
अपने मन को निर्मल कर पाते हैं।।
प्रेम! हाँ, प्रेम का महिमामंडन शब्दों में
करना है अति मुश्किल
क्योंकि प्रेम महज शब्द नहीं
प्रेम की विशेषताएं समुद्र से
भी गहरी और आसमां से भी
उंची है।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
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