पर्यावरण से दोस्ती कीजिए और अपने दोस्त का पूरा ख़्याल रखिये। एक दोस्त का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने दोस्त के जीवन में आने वाले हर दुःखों को दूर करें व हर मुश्किल हालात में उसके साथ रहे। एक नज़र जरा डालिए पर्यावरण की ओर पर्यावरण हर मुश्किल हालात में जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारा साथ निभाता है। दोस्ती निभाना तो कोई पर्यावरण से सीखे। मानव ही हैं जो पर्यावरण के साथ वक्त-वक्त पर खिलवाड़ करता रहता है। यह अनुचित है।
पर्यावरण हम इंसानों से कुछ विशेष नहीं चाहता है। बस पर्यावरण की चाहत यही होती है कि हम पेड़-पौधों का संरक्षण करें। असमय ही अपना आशियाना बनाने हेतु पेड़-पौधों को न काटें। नदी को दूषित न करें। नदीयों को स्वच्छ रखें। बहुत सारे पेड़-पौधे लगाएं। बस इतनी ही तो ख्वाहिश है पर्यावरण की। और हम इंसान समझ ही नहीं पा रहे हैं पर्यावरण की अभिलाषा या यूं कहें कि समझकर भी नासमझ बन रहे हैं।
पर्यावरण में संतुलन बना रहे इसलिए अति आवश्यक है कि हम पेड़-पौधों का पूरा ख़्याल रखें। आलिशान घर बनाने के उद्देश्य से या बड़ी-बड़ी कंपनियां स्थापित करने के उद्देश्य से बेवक्त ही पेड़-पौधों को न काटें। यदि हम पेड़-पौधों का ख़्याल नहीं रखेंगे, यदि पर्यावरण में संतुलन बनाएं रखने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाएंगे, तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं रहेगा इस धरा पर। पेड़-पौधों के बिना हमारा कोई अस्तित्व ही नहीं है इस बात का विशेष ख़्याल रखें।
जितना हो सके पेड़-पौध लगाएं। नदियों में अवांछनीय पदार्थों को प्रवाहित न करें। पेड़-पौधों के दर्द को महसूस करें व असमय पेड़-पौधों को काटें नहीं। परोपकारी पेड़ की उदारता को स्मरण रखते हुए सर्वदा पेड़-पौधों की सेवा करें। यह स्मरण रहे कि पेड़-पौधे बहुत कुछ देते हैं हम इंसानों को। तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम पर्यावरण में संतुलन बनाएं रखने के लिए पेड़-पौधों का संरक्षण करें।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
उम्दा लेखन
Awesome
धन्यवाद मनिषा मैम
@धन्यवाद प्रवीण भाई जी
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