एक रचनाकार से जब रहा नहीं जाता है
जब वह दीन दुखियों के दर्द देखते-देखते
टूट जाता है पूर्णतः अंतस तक
तब एक रचनाकार अपनी कलम से
दीन दुखियों के दर्द को करता है कलमबद्ध
यह बात जानता है एक रचनाकार कि
दीन दुखियों के दर्द को पन्नों पर व्यक्त कर
वह दूर नहीं कर सकता है उनके जीवन का दर्द
फिर भी एक रचनाकार करता है यह प्रयास कि
काश! कोई पढ़ ले पन्नों पर लिखे उनके दर्द को
और जागृत हो जाए उस पाठक के मन में संवेदना
और वह करे प्रयत्न बेसहारों के दर्द दूर करने की।।
पन्नों पर उकेर देता है एक रचनाकार अपना दर्द
दिल पर नहीं रखना चाहता है कोई बोझ
रचनाकार नहीं चाहता है कि मन रहे बेचैन सर्वदा
इसलिए अपनी कलम की मदद से ज़िंदगी से मिले
दर्द,तकलीफ़ व अनुभवों को पन्नों पर
सदा करता है कलमबद्ध और
मरकर भी हो जाता है अमर सदा के लिए
क्योंकि एक रचनाकार की मृत्यु कभी नहीं होती है
रचनाकार छोड़ जाता है अपनी एक
अलग पहचान,अमिट छाप सब के दिल पर
पन्नों पर लिखे हर शब्द गवाह होते हैं कि
रचनाकार ने ज़िंदगी से क्या सिखा है।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बिलकुल सही कहा 👏👏
धन्यवाद
बहुत बढ़िया
धन्यवाद मैम
Please Login or Create a free account to comment.