कुछ विद्यार्थियों के अंतर्मन में यह प्रश्न हिलोरे मारते रहता है कि, पढ़ने में मन नहीं लगता है क्या करें? एक बात याद रखिए चाहे हमारा कर्म पढ़ना हो या कुछ और किसी भी कर्म के संपादन में कठिनाईयां आती ही है। पर इसका मतलब यह नहीं कि हम कर्म करना ही छोड़ दें।
पढ़ने में मन लगे इसलिए यह अति आवश्यक है कि हम प्रथमतः यह जानें कि हम पढ़ क्यों रहे हैं? निरंतर पढ़ने से हमारे अंदर भविष्य में क्या परिवर्तन आएगा। निःसंदेह प्रश्न का समाधान मिल जाएगा। आज इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि किस प्रकार हम पढ़ने में मन लगाएंगे।
●ज़िम्मेदारी रुपी अलार्म मन में लगाकर सोएं- ज़िम्मेदारी का भान यदि हमें न हो तो हम अपने जीवन में कदापि कुछ नहीं कर सकते हैं। इसलिए जब भी सोने जाएं तो यह स्मरण रखें कि मुझे सुबह सवेरे उठने में आलस नहीं करना है। फ्रेश होने के तुरंत बाद ही पढ़ने के लिए बैठें, सुबह सवेरे पढ़ने से प्रश्नों का उत्तर लंबे समय तक स्मरण रहता है। इसलिए ब्रह्ममुहूर्त में अध्ययन अवश्य करें।
●पढ़ने वक्त जब नींद आए- अक्सर विद्यार्थियों का यह कहना होता है कि पढ़ने जाता हूँ तो मुझे नींद आ जाती है। तो इस समस्या का भी समाधान है। पढ़ने वक्त जब नींद आए तो एक ग्लास ठंडे पानी का सेवन करें,व आँखों को जल से धो लें। निश्चित ही नींद गायब हो जाएगी और पढ़ने में मन लगने लगेगा।
●कुशाग्र बुद्धि वाले शख्स की एक्टिविटी- वैसे विद्यार्थी जो अधिक पढ़ने में तेज़ है,उनसे सीख प्राप्त करें। तेज़ विद्यार्थी सहसा तेज़ विद्यार्थी की श्रेणी में नहीं आते हैं वे निरंतर अभ्यास करते हैं रुटीन बनाकर पढ़ते हैं। इसलिए पढ़ने में जब मन न लगे तो उन विद्यार्थियों को एक बार स्मरण करें जो तेज़ हैं निश्चित ही आपको उनसे प्रेरणा मिलेगी और आप भी पढ़ने लगेंगे।
●सफल लोगों की जीवनी पढ़ें प्रेरणा मिलेगी- पढ़ाई के क्षेत्र में सफलता हासिल करने से पूर्व जोखिम भी मुश्किल भी तन पर सहना पड़ता है। और जिसने भी सफलता हासिल की है उसने कष्ट सहे हैं यह भी अकाट्य सत्य है। इसलिए जब पढ़ने में मन न लगे तो उन सफल लोगों की जीवनी पढ़ें जिन्होंने श्रम कर,मुश्किलों से मुस्कुराकर सामना कर इतिहास रचा है।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Nice
धन्यवाद
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