जन्मदाता पिता अपनी संतान के लिए सर्वस्व न्योछावर करता है

पिता अपना सर्वस्व बच्चे के बेहतर कल के लिए समर्पित करते हैं। पढ़िये एक प्रेरणादायक आलेख।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 21 Jun, 2020 | 1 min read
Papa Father's day

जन्मदाता पिता अपनी संतान के लिए सर्वस्व न्योछावर करता है

पिता! अपनी संतान की ख़ुशी के लिए सबकुछ करते हैं। भले ख़ुद तन पर कष्ट ही क्यूं न झेलनी पड़े पर बच्चे को कभी भी कष्ट का एहसास भी नहीं होने देते हैं। अपने हिस्से की हर ख़ुशी अपनी संतान के हिस्से में समर्पित करने वाला शख़्स कोई और नहीं, पिता है। जब पिता हमारे लिए इतना कुछ करते हैं तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम पिता को ख़ुश रखें हमेशा। आज इस आलेख में इसी बात का जिक्र करने जा रहा हूँ कि किस प्रकार हम अपने पिता को ख़ुशी प्रदान कर सकते हैं।

पापा को एहसास दिलाइये कि हर मुश्किल घड़ी में उनकी संतान उनके साथ रहेगा:- ज़िंदगी में कई मोड़ ऐसे भी आते हैं जब पिता भी पूर्णतः टूट जाते हैं। जब आर्थिक समस्या सामने आ जाती है तो पिता के लिए ख़ुद को संभालना और परिवार की ज़रूरतों को पूरा करना एक चुनौती बन जाता है। इस स्थिति में यदि हम उनका साथ नहीं देंगे तो भला और कौन देगा। पापा को यह विश्वास दिलाइये कि पापा आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए! वक्त एक दिन बदल जाएगा। अभी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो कोई बात नहीं, हम अपने ख़्वाहिशों के साथ समझौता कर लेंगे। आपको ज्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। हम ख़ुश रह लेंगे जितने में हम हैं। बस इतनी-सी बात उन्हें हौसला देगा और अपार ख़ुशी भी।

पापा के साथ बैठकर बातें कीजिए उन्हें ख़ुशी मिलेगी और आपको भी:- दिनभर काम करने के बाद जब पापा घर आते हैं तो यकीनन उनका तन और मन दोनों थका रहता है। ऐसे में उनके साथ बैठकर जब आप बातें करते हैं पुरानी यादों को याद करते हैं तो यकीनन उनका मन भी हल्का होता है। उन्हें ख़ुशी भी मिलेगी। आज के बच्चे फुर्सत के समय घण्टों स्मार्टफोन पर गुजारते हैं पर अपने पापा से घर के बाक़ी सदस्यों से बात करना ज़रूरी भी नहीं समझते हैं। यह ग़लत है। हमारे अभिभावक हमारे लिए कितना कुछ करते हैं। दिनभर अनगिनत मुश्किल तन पर सहन करते हैं। तो हमें भी उनकी ख़ुशी का ख़्याल रखना चाहिए। उनसे कुछ पल बातें करके उन्हें थोड़ी ख़ुशी देनी चाहिए। उन्हें भी लगेगा कि मेरे बच्चे मेरा दर्द समझते हैं। उन्हें मेरी ख़ुशी की परवाह है।

जब पापा अपना सर्वस्व हमारे लिए न्योछावर करते हैं तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम उनका ख़्याल अंतिम सांस तक रखें। जब हमें चलना भी नहीं आता था तब उन्होंने उंगली पकड़कर हमें चलना सिखलाया था। तो हमारी भी ज़िम्मेदारी बनती है कि उनका ख़्याल हम हमेशा रखें। कभी भी उनको अकेला महसूस न होने दें। एक बात स्मरण रखिये पिता के होने से ही घर के हर कोने में ख़ुशियाँ बिखरती है। तो आइए पापा का ख़्याल रखकर हम उन्हें थोड़ी ख़ुशी दें।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

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Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • ARUN SHUKLA Arjun · 4 years ago last edited 4 years ago

    वाह वाह वाह अद्भुत, बेहद प्रेरणादायक सकारात्मक एवं शानदार आलेख प्रिय अनुज

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    हार्दिक आभार @अरुण सर

  • Anita Tomar · 4 years ago last edited 4 years ago

    सचमुच काबिले तारीफ लेख👏👏👏... अगर आज की युवा पीढ़ी इस तरह के लेखों से थोड़ी - सी भी सीख ले ले तो शायद वृद्धों का बुढ़ापा संवर जाए।

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