बहू और बेटी में फर्क नहीं करें।

बहू और बेटी में फर्क नहीं बहू और बेटी पर फक्र कीजिए।

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 10 Jun, 2020 | 1 min read

जिस घर में बेटी और बहू को दो नजरिये से देखा जाता है उस घर में एकता के सूत्र में परिवार कभी भी बंध नहीं सकता है। परिवार में प्रेम रुपी पुष्प सदैव खिली रहे इसलिए अति आवश्यक है कि बेटी और बहू दोनों को एक नजरिये से देखा जाए। दोनों के बीच बिल्कुल भी फर्क नहीं किया जाए। अधिकांश परिवार में देखा जाता है कि बहू को वो मान-सम्मान प्राप्त नहीं होता है जिस मान-सम्मान की वो अधिकारी है। बेटियों को अपार प्रेम की दृष्टि से देखना और बहू को हेय दृष्टि से यह कतई उचित नहीं है।


बहू को बेटी की भाँति प्रेम न्योछावर कीजिए:-माता-पिता मन भर प्रेम न्योछावर करते हैं अपनी बेटी को। ठीक इसी तरह अपनी बहू को भी अपनी बेटी का दर्जा देना चाहिए। जितना प्रेम माता-पिता अपनी बेटी से करते हैं उतना ही अपनी बहू के हिस्से में भी स्नेह अर्पित करना चाहिए। तभी परिवार में एकता कायम रहेगा व सभी हंसी-खुशी से रहेंगे।


बहू से क्षण भर के लिए भी सौतेला व्यवहार न करें:- वैसे तो कुछ-ही ऐसा परिवार है जहां बहू के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हूँ। एक आदर्श बहू अपना सर्वस्व समर्पित करती है ताकि परिवार रुपी बगिया में सदैव ख़ुशहाली रहे। तो घर के बड़ों की भी ज़िम्मेदारी बनती है कि बहू को उचित मान-सम्मान मिलें। एक पल भी यह एहसास नहीं होने दीजिए कि बहू पराय घर से आई है, बहू को इतना मान-सम्मान व स्नेह दीजिए कि उसे अपने घर की याद न आए।


बहू और बेटी में फर्क नहीं बल्कि बहू और बेटी पर फक्र करें। और दोनों को एक समान प्यार, दुलार व स्नेह प्रदान करें। एक दिन बेटी भी किसी घर की बहू बनेगी यह स्मरण रखें। और अपनी बेटी को संस्कार का अध्याय हर दिन पढ़ाएं, ताकि जब बेटी किसी घर की बहू बनें तो वहां उसे सभी मन भर प्रेम करें।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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