फिर तू मुस्कुराएगा

A motivational poem

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 04 Jun, 2021 | 0 mins read
Hindi poetry Motivational poem Hindi poem Ka poetry

है व्याप्त घोर अँधियारा चहुंओर

पर मनुज, तू अँधियारे से मुख मत मोड़

उर के हर कोने में उम्मीद की किरण

कर तू अंकुरित, और आगे बढ़।।


ज़िंदगी की परीक्षा में भी तू होगा उत्तीर्ण

मनुज रख विश्वास स्वयं के ऊपर हर क्षण

अंतर्मन की गुल्लक में रख उम्मीद हरदम

मन के हर कोने में विश्वास मत होने दे कम।।


वक्त कहर बरसा रहा है हर ओर

मुश्किल तोड़ना चाह रही है हिम्मत

फिर भी, मनुज तू उम्मीद का दिया

कर प्रज्ज्वलित मन के हर कोने में।।


मन के आँगन में खिलेगी ख़ुशी रुपी पुष्प

बस डगमगाने मत दे मनुज कदमों को

और हार मत मानने दे अपनी हिम्मत को

तू फिर से मुस्कुराएगा, हाँ तू मुस्कुराएगा।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Superb

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    Thanks a lot ma'am

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