शुक्रिया माँ!

शिक्षात्मक लघुकथा

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 16 Apr, 2021 | 1 min read
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"माँ, अत्यधिक ठंड के कारण सही से कुछ बोलने में भी कठिनाई महसूस हो रही है। ऊनी वस्त्र तन पर धारण करने के पश्चात भी मन में एक अज़ब बेचैनी-सी हो रही है।" वर्तमान परिस्थिति को माँ के समक्ष व्यक्त करने के पीछे बेटा अपनी माँ को एक गंभीर संदेश देने की कोशिश कर रहा था। "बेटे, मैं भी जानती हूँ ठंड अधिक है। मैं जहाँ तक तुम्हारे कुम्हलाए चेहरे को पढ़ पा रही हूं तुम अपनी माँ से कुछ कहना चाह रहे हो।"

"हाँ माँ मैं आपसे कुछ पूछना चाहता हूं। बताइए माँ, ठंड केवल हम इंसानों को ही लगती है क्या? बेजुबान जानवरों को ठंड नहीं लगती है? हम सब बेजुबान जानवरों के जीवन के विषय में क्यों नहीं सोचते हैं? कल सुबह जब ठंड से ठिठुरते हुए कुछ कुत्ते मुख्य द्वार तक पहुंच गए थे, तो माँ आपने उन कुत्तों को दुत्कार कर वहां से भागने के लिए क्यों मजबूर कर दिया था। उन बेजुबान जानवरों को भी तो ठंड महसूस महसूस होती होगी जिस तरह मुझे, आपको व अन्य लोगों को महसूस होती है।"

बेटे द्वारा कही गई इस बात को सुनने के पश्चात ही माँ ने बेटे से कहा, "बेटे मुझे आज इस बात का बेहद अफ़सोस हो रहा है। इस बात को जानते हुए भी कि ठंड केवल हम इंसानों को ही नहीं बेजुबान जानवरों को भी लगती है। फिर भी मैं बेजुबान कुत्तों के दर्द को नही समझ सकी। बेटे तुमने आज मेरी आँखें खोल दी। आज के बाद कभी भी ऐसा नहीं करूंगी। पड़ोस में कुछ कुत्ते व अन्य बेजुबान जानवर ठंड से ठिठुरते रहते हैं। मैं आज ही उनके लिए ठंड से बचने का प्रबंध करती हूं।"

बेटे ने माँ को सीने से स्पर्श करते हुए कहा, "माँ आपने आज यह निर्णय लेकर फिर से इस बात को प्रमाणित कर दिया कि आप मेरी सबसे अच्छी माँ हैं। शुक्रिया माँ, न केवल अपने बेटे के विषय में ही बल्कि बेजुबान जानवरों के हित हेतु एक सार्थक प्रयत्न करने के लिए भी।"


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित

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Kumar Sandeep

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 3 years ago last edited 3 years ago

    वाह बहुत प्यारी कहानी

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दी

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