हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस सेलिब्रेट करना मेरे लिए किसी खास उत्सव से कम नहीं रहता है। हर वर्ष इस दिन को बड़े ही हर्ष से मनाता हूँ। कल विश्व पर्यावरण दिवस था, विगत वर्षों की भाँति कल के दिन भी मैंने इस दिवस को प्रकृति ख़ातिर समर्पित किया या यूं कहूं स्वयं के लिए और आने वाली पीढ़ी की रक्षार्थ समर्पित किया। प्रकृति की देखरेख करना का आशय ही तो है स्वयं की देखरेख करना आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित करना।
कल के दिन घर के पीछे चार आम का पौधा रोपने का एक छोटा-सा कार्य कर मन को अपार सुकून मिला। अपने संपर्क के मित्रों को कॉल कर इस दिवस को खास बनाने के लिए प्रेरित भी किया, मित्रों से विनम्र आग्रह किया कि आज के दिन ही सही प्रकृति को अवश्य यह एक दिन समर्पित करें। वृक्षारोपण करने के लिए मित्रों ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया जिस वजह से कल का दिन और खास बन गया।
सच पूछिये तो कल के दिन को सेलिब्रेट करने का आनंद ही कुछ और होता है, प्रकृति हर रोज़ हमारी सलामती के लिए नेक कार्य करती है तो हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम भी प्रकृति की देखभाल के लिए अपनी व्यस्त जीवनशैली में से कुछ क्षण अवश्य निकालें। हर प्राणी सौभाग्यशाली है कि उसे प्रकृति ने इतना कुछ दिया है कि वह लाख प्रयत्न करने के बावजूद भी उन चीज़ों को अन्य स्त्रोतों से प्राप्त नहीं कर सकता था सिवाय प्रकृति के।
प्रकृति प्रदत्त वृक्ष के निकट विश्राम करने मात्र से मन को जो सुकून प्राप्त होता है उसे शब्दों में वर्णित कर पाना सरल नहीं है। प्रकृति प्रदत्त जल के बिना चंद मिनट भी व्यतीत करना सरल नहीं है। प्रकृति प्रदत्त हवा के अभाव में हम जीने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। प्रकृति प्रदत्त हर चीज़ की तारीफ करने हेतु शब्द कम ही पड़ जाएंगे। हमें हर पल शुक्रिया अदा करना चाहिए प्रकृति का जिस तरह मातृ-पितृ व गुरु का ऋण चुकता नहीं किया जा सकता है ठीक उसी तरह प्रकृति का ऋण भी हम ताउम्र नहीं चुका सकते हैं।
धन्यवाद! प्रकृति
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बिल्कुल सही बात कही
धन्यवाद दी
Plz ap mujhe eske bare m mujhe likhna btao plz
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