घर के आँगन में पिता की पावन उपस्थिति के लिए हमें ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए। क्योंकि पिता की पावन उपस्थिति जीवन में ख़ुशियों के रंग घोलने में सक्षम होती है, वहीं उनकी गैरमौजूदगी घर के आँगन व दीवारों को भी रोने पर मजबूर कर देती है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने पिता के असमय देहांत के उपरांत समझा कि वास्तव में पिता क्या होते हैं। चौदह बरस का था तो पिता असमय ईश्वर के पास चले गए। जब वो मेरी आँखों के समक्ष थे, तो जीवन में उन्होंने जो संघर्ष झेला उसके विषय में हमें बताया करते थे। तब हमें उनके संघर्ष की वह गाथा उतनी अधिक प्रभावित नहीं करती थी, चूंकि बचपना था। पर आज जब युवावस्था में हूँ तो यह समझ में आ रहा है कि सचमुच पिता हम संतानों के लिए जो कुछ भी करते हैं उसे शब्दों में वर्णित कर पाना अत्यधिक कठिन है। मैं युवाओं से आग्रह करना चाहता हूँ कि आपके घर में यदि आपके पिताजी की पावन उपस्थिति है तो यह आपके लिए परम् सौभाग्य की बात है। पिता से दूरी बनाकर नहीं बल्कि पिता से नजदिकियां स्थापित करें। पिता से अपने दिल की हर बात साझा करें, उनकी तमाम ज़रुरतों का ख्याल रखें। पिता जब सोने जाएं तो उनके पाँवों को स्नेह से दबाएं, ऐसा करने से आपके मन को सुकून मिलेगा और आपके पापा के मन को ख़ुशी महसूस होगी कि मेरे बच्चे आधुनिकतम की दौर में भी आदर्श हैं।
©कुमार संदीप
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