एक अच्छा राइटर कैसे बनें

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 30 Sep, 2021 | 1 min read
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बैरहाल अपनी कलम से न केवल अपने मनोभावों को अपितु मूक जीव व दूसरे के दुख को अपना दुख समझकर उसके दर्द को भी कागज पर शब्द के रुप में उकेरने वाले हर राइटर अच्छे ही होते हैं। पर हर एक राइटर की यह दिली ख्वाहिश होती है कि मैं भी एक सफल और अच्छा राइटर बनूं। और यह संभव भी है, आज के समय में। लेखन का हाथ थाम हम अपने जीवन में आज चाहें तो नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। पर हमें यहाँ तक पहुंचने के लिए कुछ सार्थक प्रयास भी करना पड़ेगा। हमें अपने लेखन में सुधार लाने हेतु ख़ुद के अंदर कुछ चेंजेज लाने होंगे। तभी हम ख़ुद को एक अच्छे राइटर की कतार में अपनी जगह बना पाएंगे।


तो आइए जानते हैं कि, हम किस प्रकार एक अच्छा राइटर बनें? यह जानते हैं- 


१)रोज़ाना अध्ययन की लत- रोज़ाना वरिष्ठ साहित्यकारों की रचनाओं का नियमित रुप से अध्ययन की लत आपको एक अच्छा राइटर बनने में अधिक मदद करेगी। हम जितना अध्ययन करेंगे हमारे लिए उतना ही फायेदेमंद सिद्ध होगा। रोज़ाना साहित्य की विविध विधाओं की औसतन २०-२५ रचनाओं का अध्ययन करें। ऐसा करने से निश्चित रुप से लेखन में सुधार आने की शुरुआत हो जाएगी।


२)कंटेंट क्रिएट करने से पूर्व बेस्ट कंटेंट का अध्ययन- चाहे जिस भी टॉपिक पर लिखने जा रहें हो आप जिस भी विधा में, उससे संबंधित रचनाएँ आप गूगल सर्च इंजन पर सर्च कर पढ़िये। आपको अनगिनत रचनाएँ मिल जाएंगी पढ़ने के लिए और पढ़ने के पश्चात आप जो लिखने वाले हैं उन रचनाओं से कुछ अलग लिखें आप जो पहले से पबलिश हैं। आपकी रचनाओं में कुछ अलग बात रहेगी तभी आपके पाठक आपकी रचनाओं को अति पसंद करेंगे। इसलिए अपनी रचनाओं में नवीनता लाने हेतु यह अति आवश्यक है कि आप पहले विभिन्न रचनाओं को पढ़ें। जिस टॉपिक पर आर्टिकल आप लिखने वाले हैं उस टॉपिक से संबंधित जानकारी हासिल करें, विशेषज्ञों की राय पढ़ें। तत्पश्चात आलेख लिखना आरंभ करें। ऐसा करने से आपके आलेख की ख्याति बढ़ेगी।


३)लिखे गए कंटेंट को बार-बार पढ़ने की आदत- आप अपनी कलम से लिखित रचनाओं को जितनी दफा पढ़ेंगे आपकी रचनाओं की खामियां उतनी ही दूर होंगी, और आपके समक्ष आपकी रचनाएँ पूर्णतः साफ सुथरी और सुस्पष्ट खड़ी रहेंगी। लिखित रचनाओं की त्रुटियाँ दूर करने का एकमेव रास्ता है कि हम अपनी रचनाओं को एक बार नहीं अपितु कई बार पढ़ें कहीं किसी भी समाचारपत्र या साहित्यक प्लेटफॉर्म पर प्रकाशानार्थ भेजने से पूर्व।


४)ख़ुद को श्रेष्ठ समझने की भावना का त्याग- हम जिस दिन से ख़ुद को श्रेष्ठ समझ लेते हैं उस दिन से ही हम कुछ नया सीखना बंद कर देते हैं। इसलिए लेखन क्षेत्र हो या कोई भी क्षेत्र कभी भी ख़ुद को श्रेष्ठ मत समझें। हाँ, सीखने का प्रयत्न हर किसी से करते रहें, यह गुण आपको एक दिन ख़ुद-ब-ख़ुद श्रेष्ठ रचनाकार बनाने में आपकी मदद करेगा।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Surabhi sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत अच्छा ब्लॉग है |

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद मैम

  • Jyoti Mishra · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़ीया

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दी

  • Kamlesh Vajpeyi · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत अच्छे और उपयोगी विचार..!

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद सर

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