पिता धावक नहीं हैं

◆ अद्वितीय शख्सियत "पिता" को समर्पित कविता ◆

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 27 Feb, 2022 | 1 min read
Father's love Sacrifice of father

पिता धावक नहीं हैं,

फिर भी, पिता! दिन भर दौड़ लगाते हैं

ताकि ज़िंदगी की रेस में जीतकर

संतान के लिए ला सकें 

ख़ुशी के चंद सामान।।


पिता साक्षात ईश्वर के रुप ही हैं

तभी तो, पिता! हर परिस्थिति में

साथ खड़े होते हैं हमारे और 

बढ़ाते हैं हमेशा हमारा हौंसला।।


पिता अमीर नहीं हैं,

फिर भी हमारे हिस्से में 

असीमित ख़ुशियाँ अर्पित 

करने का हुनर पिता जानते हैं।।


पिता कोई जादूगर नहीं हैं

फिर भी, पिता! हमारे जीवन में

व्याप्त हर ग़म को हरने की 

क्षमता रखते हैं स्वयं के अंदर।।


पिता साक्षात ईश्वर के रुप ही हैं

तभी तो, संतान पर आने वाली 

तमाम विपत्तियों को भाँपकर

उन विपत्तियों से, संतान को उबारने

हेतु करते रहते हैं निरंतर अथक श्रम।।


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित

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Comments

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  • Amarjeet kumar · 2 years ago last edited 2 years ago

    Sir itna accha poem is poem se hame yah seekh milti hai ki hamare pita hame khus rakhane ke apne sari khushiya ko chorakar hamari khushiya Puri karte hai l love my mom and dad ❤️❤️❤️❤️

  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    धन्यवाद प्रिय अमरजीत तुम्हारी टिप्पणी से मन पुलकित हुआ.

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