Day-05
चार दिवस पिता को समर्पित रहा आज पंचम दिन जीवनदायिनी प्रिय माँ को समर्पित। माँ अक्षर ज्ञान प्राप्त की हुई है, पुस्तकें भलीभाँति पढ़ लेती हैं। माँ के पास कोई विशेष डिग्री नहीं है, पर मेरी नज़र में मेरी माँ दुनिया की सबसे समझदार माँ है। खैर माँएं तो सबकी प्रिय होती हैं। पर मैं मानता हूँ कि विशेष डिग्री जिन माँओं के पास नहीं होती हैं वे माँएं भी हमारे घायल मन की व्यथा को भलीभाँति पढ़ने का हुनर जानती हैं।
मेरी माँ बड़ी हिम्मत वाली हैं, यह सत्य है। माँ के जीवन में मैंने कई उतारचढ़ाव आते देखे हैं। माँ ने शुरुआत से ही अनगिनत कष्ट सहन किए पर हर परिस्थिति में ख़ुद को संभाले रखा। कभी भी ख़ुद को टूटने नहीं दिया माँ ने।
पिता जी के असमय निधन होने से माँ के जीवन में दुख का पहाड़ टूट गया। माँ उस वक्त बहुत रोई बैरहाल आज छः वर्ष के उपरांत भी माँ यदाकदा आँसू बहाती ही हैं।
पुत्र के पास ईश्वर द्वारा लिए गए निर्णय को बदलने की क्षमता होती तो पुत्र प्रथमतः असमय ईश्वर लोक गए पिता को वापस लाता। पर यह कदापि संभव नहीं।
माँ को जब पिता की याद आती है तो माँ हम भाईयों के समक्ष रोती नहीं है। माँ जानती है कि यदि मैं रोऊंगी तो मेरे बच्चे भी रोने लगेंगे, सो माँ चाहकर भी नहीं रोती। आँख से गिरते आँसुओं को बाहर आने से मना कर देती है माँ। जब कभी मैं रोते देखता हूँ माँ को फौरन माँ को हौंसला देकर माँ के आँसुओं को पोंछ देता हूँ। मैं अधिक दुखी होता हूँ, जब मेरी माँ मायूस होती है, रोती है। मैं कदापि यह नहीं चाहता कि मेरी माँ के हिस्से में किंचित भी दुख हो। इसलिए हर संभव प्रयास करता हूँ कि माँ के हिस्से में ख़ुशी ही ख़ुशी हो। तनिक भी दुख न हो।
जब माँ की तबीयत तनिक भी ख़राब होती है तो मेरे मुख से भोजन तनिक भी ग्रहण नहीं होता है। मेरा मन अनगिनत बार ईश्वर से प्रार्थनाएं करने लगता है। मैं ईश्वर से उस क्षण यही प्रार्थना करने लगता हूँ कि हे प्रभु! मेरी माँ को सदा स्वस्थ रखिएगा। माँ के हिस्से से तमाम ग़म को हर लीजिएगा।
पुत्र के चेहरे पर जरा सी मायूसी देखते ही माँ का चिंतित हो जाना स्वभाविक ही है। मेरे चेहरे पर थोड़ी सी उदासी देखते ही माँ रब से प्रार्थनाएं करने लगती हैं। भाईयों को अपने पास बैठाकर जीवन से जुड़ी तमाम छोटी-से-छोटी बातें बतलाती हैं, जो हमें कदापि किसी पुस्तक में पढ़ने को नहीं हो सकता है प्राप्त।
निष्कर्ष- दुनिया की हर माँ संतान की सलामती ख़ातिर ख़ुद के जीवन में अनगिनत तकलीफ़ सहन करती है परंतु कभी भी पुत्र को इस बात का भान नहीं होने देती है कि माँ मायूस है। ईश्वर दुनिया की तमाम माँओं को ख़ुश और स्वस्थ रखे, माँ के उर में पुत्र के लिए असीमित प्रेम सदैव जीवित रहे व हर पुत्र के उर में माँ के लिए असीमित प्रेम जीवित रहे यही कामना है।
©कुमार संदीप
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