"दहेज" पता है, इस दैत्य का नाम सुनते ही सिहर जाता है उस पिता का पूरा शरीर जिसके हिस्से में ईश्वर बेटी देते हैं। बेटी को बोझ नहीं समझना चाहिए यह सही बात है। पर आज जब बेटे वाले दहेज के रुप में बेटी वाले से मोटी रकम माँगते हैं तो गरीब पिता सचमुच ईश्वर से यह शिकायत करता है। कि हे ईश्वर आपने मेरे जीवन में बेटी क्यूं दी?
जब अख़बारों में दहेज के कारण बेटी को जला देने की ख़बर और बेटी को प्रताड़ित करने की ख़बर पढ़ता हूँ तो मेरी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। क्या आज का मानव इतना क्रुर हो गया है? उसे सही ग़लत का फर्क ही नहीं पता है। दहेज के नाम पर बेटी के परिवार वाले को सताना क्या मानवता है। नहीं! नहीं यह मानवता नहीं यह क्रुरता है।
आप सभी को ईश्वर ने बुद्धि, विवेक देकर अनमोल उपहार दिया है तो आप सभी इस अनमोल उपहार का सदुपयोग कीजिए। अपनी बेटी की शादी किसी ऐसे घर में कतई नहीं कीजिए जिनकी नज़र में व्यक्ति से अधिक विशेष रुपये, पैसे,धन और दौलत और सुख सुविधाओं के सामान हैं। जिन लोगों के लिए पैसे महत्त्वपूर्ण है व्यक्ति से, उस घर में आपकी बेटी कभी भी ख़ुश नहीं रह सकती है। इसलिए अपनी बेटी की शादी ऐसे घर में कीजिए जहाँ आपकी बेटी की कद्र,जिस घर में सभी इंसानियत की परिभाषा जानते हों।
बेटी को खूब पढ़ाइये, उसे घर की चारदीवारी में कैद करके नहीं रखिये। बेटी पढ़ेगी, आगे बढ़ेगी, तो दहेज के भूखे दानवों को एक दिन ख़ुद ही झूकना पड़ेगा। दहेज के लोभी दानवों को विचार करना चाहिए कि एक परिवार अपनी लाडली रानी को जीवन भर के लिए हमें सौंप रहा है तो भला हम उससे दहेज क्यों लें। पर दहेज लेने वक्त उन दानवों की आँखों के ऊपर स्वार्थ का पट्टी बंध जाती है। तो हमें मिलकर उनकी आँखों पर बंधी स्वार्थ की उस पट्टी को हटाना होगा, दहेज मुक्त महौल स्थापित करना होगा।
तो गाँठ बांध लीजिए एक बात
न दीजिए उस लड़के के हाथ में अपनी बेटी का हाथ
जिनके लिए इंसान से अधिक है मूल्यवान धन और सामान।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
BHT H HARDYSPERSHI VRNAN BY SANDEEP, KASH AISA SMAAJ KA HR VYKTI SOCHEY, AADERSH SMAJ KI STHAPNA HOGI.
👌👌👍👍🙏🙏🙏💐
धन्यवाद
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