भईया! "इस बार रक्षाबंधन के दिन आप अपनी बहन को क्या उपहार देंगे?" बहन! "तू मांगकर तो देख! क्या चाहिए तुझे? तू जो कहेगी तुझे लाकर दूंगा। चाहे उसके लिए मुझे कोई भी कीमत चुकानी पड़े।" निधि कहती है, "भईया! इस रक्षाबंधन मुझे आपसे कोई भी विशेष तोहफा नहीं चाहिए! पर हाँ, भईया! एक वचन दीजिए मुझे! आप वचन दीजिए मुझे भईया कि जब कभी किसी अबला नारी को कोई हैवान नुकसान पहुंचाना चाहेगा या बुरी नज़र से देखेगा, बिना देरी किए आप फौरन उस हैवान को सबक सिखाएंगे। और हाँ, भईया! एक वचन और मांगना चाहूंगी इस बार रक्षाबंधन के दिन आप कभी भी मम्मी-पापा का साथ नहीं छोड़ेंगे। ताउम्र आप उनकी देखभाल करेंगे। बोलिए भईया, क्या आप तैयार हैं वचन निभाने के लिए? आपकी बहन के लिए यही सबसे बड़ा उपहार होगा।" प्रवीण की आँखों से अचानक ही आंसू टपकने लगे। छोटी बहन की बातें,विचार व परिवार के प्रति नेह भरे शब्द सुनकर प्रवीण का मन गदगद हो गया। बहन को कलेजे से लगाकर प्रवीण कहता है, "हाँ बहन! मैं निभाऊंगा हर वचन। मैं आभारी हूं जग के पालनहार प्रभु का कि उन्होंने मुझे तुम्हारी जैसी प्यारी बहन दी है उपहार स्वरुप।" निधि को ऐसा लग रहा था उस पल कि उसे आज दुनिया की हर ख़ुशी मिल गई।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुंदर लिखा है
धन्यवाद आपका
धन्यवाद आपका
बहुत बढ़िया लिखा
धन्यवाद दी
बहुत अच्छा है।
Thanks mam
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