हमारे देश भारत प्राचीनकाल से ही कितना प्यारा रहा है ना और यहाँ के लोग भी,यहाँ की सभ्यता,संस्कृति और रीति रिवाज़ भी। विवाह एक अनुपम संस्कार में से एक माना जाता है। विवाह के वक्त सात फेरे लिए जाते हैं, हर रीति रिवाज़ निभाए जाते हैं। सात जन्म तक साथ रहने का संकल्प लिया जाता है। पर अफ़सोस है इस बात का कि आधुनिकता की इस अँधी दौर में सात जन्म तो क्या विवाह के चंद दिन बाद ही आज रिश्ते शीशे की मानिंद टूट जाते हैं।
"तलाक"- इस शब्द का नाम सुनने में ही अप्रिय लगता है। जहाँ पर इसका जिक्र होता है वहां से अपनत्व का भाव पूर्णतः मिट जाता है। तलाक के कारण कई हैं, जिनमें से कुछेक कारणों का जिक्र आज हम यहाँ करने जा रहे हैं--
●अशिक्षा- तलाक की दर निरंतर बढ़ोत्तरी होने का मुख्य कारण अशिक्षा भी है। अशिक्षित व्यक्ति रिश्तों की डोर को दीर्घ काल तक मजबूती से बांधकर रखने की बजाय शीघ्र ही रिश्तों की डोर को तोड़ देते हैं। उनके लिए न ही रिश्तों की कद्र होती है न ही अच्छे इंसान की।
●समझ की कमी- कुछ पुरुष भी ऐसे होते हैं जिनके अंदर समझ की अति कमी रहती है और कुछ स्त्री भी ऐसी होती हैं जिनके अंदर समझ की कमी के कारण तलाक जैसे मामले सामने आते हैं। और तलाक के आँकड़े निरंतर बढ़ रहे हैं। बिना सोचे समझें छोटी से छोटी बात को बढ़ाचढ़ाकर पेश करना छोटी बात के लिए भी बखेड़ा खड़ा कर देना रिश्तों की डोर को कमजोर करने में सक्षम होते हैं। अतः हम कह सकते हैं कि समझ की कमी भी तलाक के मुख्य कारणों में एक कारण है।
●चमक धमक वाली ज़िंदगी की ख्वाहिश- माता-पिता अपनी पसंद से अपनी औकात के अनुसार विवाह तय करते हैं अच्छे घरों में। पर आज के समय में युवा पीढ़ी को चमक धमक वाली ज़िंदगी बेहद पसंद है। कुछेक लड़कियाँ छोटे घरों में जाकर खुद को अर्जैसट करने में असहज महसूस करती हैं। उसे जब वह सब नहीं मिलता जिसकी वह चाह रखती है तो विवाद बढ़ते-बढ़ते बात तलाक तक पहुंच जाती है। कुछेक लड़के भी इसके लिए ज़िम्मेदार हैं। कुछेक लड़के मादक पदार्थों का सेवन कर अपने भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं, विवाह के उपरांत पीकर घर में आने के बाद अपनी अर्धांगिनी को पीटना सामान यहाँ का वहाँ फेंकना आम बातें हो गई हैं। यह सब नवविवाहिता को पसंद नहीं आता है तो बात धीरे-धीरे बढ़ते-बढ़ते तलाक तक पहुंच जाती है और रिश्ते टूट जाते हैं।
●सर्वाधिक समय सोशल गैजेट के साथ- दिन का सर्वाधिक टाइम सोशल गैजेट के साथ बिताना भी तलाक की दर को बढ़ाने में योगदान देते हैं इसमें कोई शक नहीं है। घर में पुरुष न तो स्त्री के संग सुख-दुख साझा करना आवश्यक समझते हैं और न ही स्त्री अपने पति के संग। दोनों अपना सर्वाधिक समय सोशल मीडिया व अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में देते हैं, यह आदत भी रिश्तों का गला घोंट रही है।
तलाक की दर कम हो अथवा तलाक की समस्या सामने ही न आए इसके लिए ये कुछ सकारत्मक बदलाव लाने होंगे दंपत्ति के मन --
●प्रथमतः ग़लतफ़हमी का बीज़ मन से उखाड़कर बाहर फेंकना होगा। ग़लतफहमी के कारण कई बार विवाद इतने अधिक बढ़ जाते हैं कि बात तलाक तक पहुंच ही नहीं जाती बल्कि तलाक हो ही जाती है। ख़ुशी भरे जीवन में सुनापन पसर जाता है।
●धन, दौलत, संपत्ति से भी अधिक मूल्यवान हैं रिश्ते इस बात को दंपत्ति को सीखना होगा। रिश्तों का मूल्य पैसों से नहीं आँका जा सकता। इसलिए प्रयास करें कि धन और दौलत रिश्तों के पथ का बाधक न बनें।
●यथासंभव अपनी जीवनसंगिनी को पूरा समय दें। केवल ख़ुद की ख़ुशी का ही ख्याल न रखें बल्कि उनकी भी ख़ुशी का ख्याल रखें जो जीवनभर के लिए दूसरे परिवार से आपके परिवार में रहने के लिए आई हुई है। ऐसा करने से दांपत्य जीवन सदैव ही सानंद से गुजरेगा व तलाक की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी कभी।
●सात फेरों के सातों वचन ताउम्र नहीं भूलना चाहिए। विवाह एक पवित्र बंधन है, तलाक का दामन थामकर इस बंधन को यूंही नहीं तोड़ना चाहिए।
●जीवन में ऐसा मोड़ ही न आए जब तलाक का ख्याल मन में पनपे। इसलिए यह अति आवश्यक है कि अपने मन में सदैव ही प्रेम,एकता, स्नेह का बीज बोएं।
●तलाक नामक शब्द की इंट्री दांपत्य जीवन में कभी हो ही ना इसलिए उर में अपनी जीवनसाथी के प्रति अगाध प्रेम संजोकर कर रखें।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुन्दर और सारगर्भित आलेख..!
धन्यवाद सर
SAMAJ K LIY EK SHI RASTA, AADRSH SMAJ KI KLPNA, YUVAO KO IN SBCHIZO KA KHYAL RKH KR AAGEY BDHNA CHAHIYE, PRIVAR KBI NHI TUTEGA....., OR BHART ME PTIVAR TUTNEY K MAMLO ME KMI AAYEGI..., YE LEKH PARIVARIK COURT ME PUBLISH KRVA SKTEY H... VHA SBHI YUVA DMPTI ISEY PDHEY.... ALG HONEY SE PHLEY... TAKI UNHEY SHI DISHA MILEY👍👍👌👌🙏🙏🇮🇳BHT HI ACHA LEKH
PROUD ON U DEAR SANDEEP BRO
धन्यवाद प्रिय दी🙏🙏
bahut badiya
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