यार, विनोद तुम भी न अज़ीब हो। अपने पापा से कहकर ख़ुद के लिए नयी मोटरसाइकिल क्यों नहीं ले लेते ? रोज़- रोज़ पैदल कोचिंग आते-जाते हो। कितनी दिक्कत होती होगी तुम्हें आने-जाने में।
फिर भी, तुम अपनी तकलीफ किसी से साझा नहीं करते अपने पापा के समक्ष भी नही..!
मैं अपने पापा को जब भी कुछ खरीदने के लिए कहता हूँ, मेरे पापा! मेरे लिए फौरन खरीद देते हैं।
मैं कभी तुम्हारे पापा से तो नहीं मिला पर मुझे लगता है कि तुम्हारे पापा को तुमसे अधिक पैसों से प्यार है।
अपने क्लासमेट कमलेश की कही इस बात को सुनकर विनोद ने सहजता से जवाब दिया "कमलेश, मेरे पापा तुम्हारे पापा की तरह रिच तो नहीं हैं। पर हाँ, मेरे पापा मेरे लिए दुनिया के सबसे ज्यादा रिच डैड हैं। उन्हें मुझसे बेइंतहा प्रेम है मैं जानता हूँ। जब भी मेरी तबीयत बेहतर नहीं रहती है मेरी तबीयत ठीक हो जाए इसलिए पूरे दिन काम करते हैं। संध्याकाल में घर आते समय मेरे लिये दवा लाते हैं ताकि मेरी तबीयत ठीक हो जाए। भले ही दिनभर काम करने से उनके शरीर में बहुत दर्द रहता हो। पर ख़ुद के लिए नहीं मेरे लिए हर घड़ी, हर क्षण मेरे पापा सोचते हैं।
मैं पैदल आता-जाता हूँ कोचिंग, इस बात का दुख पापा को हर दिन रहता है। वो भी चाहते हैं मेरे लिए मोटरसाइकिल खरीदना परंतु घर खर्च से ही पैसे नहीं बच पाते हैं। इसलिए.. मजबूरन मुझे पैदल ही आना पड़ता है। मैं जब भी घर से चलता हूँ और पीछे पलटकर पाप की ओर देखता हूँ तो उनकी आँखों में आँसू की अनगिनत बूँदें देखने को मिलती हैं मुझे। मैं फिर फौरन पापा के पास जाकर कहता हूँ, "पापा आप मत रोइए..! मेरे लिए आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं।" विनोद की बातें सुनकर कमलेश को पछतावा होने लगा ख़ुद पर। कमलेश ने विनोद को गले से लगाकर कहा, "मुझे माफ करना विनोद। सचमुच तुम्हारे पिता महान हैं इस दुनिया के सबसे बड़े इंसान हैं।"
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Heartfelt story. Sach mein bachhon ki Nazar mein unke mata pita Dil Ke Ameer hote Hain.
धन्यवाद
प्रेरणादायी कहानी
धन्यवाद
Please Login or Create a free account to comment.