"नवीन तू बता तुझे क्या चाहिए इस बार दीपावली के दिन उपहार में।" पिता ने बेटे की इच्छा जानने के लिए बेटे से पूछा। नवीन इस उधेड़बुन में था कि किस तरह अपनी इच्छा पापा के समक्ष प्रस्तुत करूं। पापा मेरी इच्छा पूर्ण करेंगे भी या नहीं! काफी सोचने-विचारने व ख़ुद से अनगिनत प्रश्न करने के पश्चात नवीन ने अपनी इच्छा अपने पापा के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा, "पापा इस बार दीपावली के दिन मुझे आपसे कोई विशेष उपहार नहीं चाहिए! मेरे पास पहले से ही ढ़ेर सारे नए कपड़े हैं। और इस बार मुझे नई घड़ी और नई साइकिल भी नहीं चाहिए। पर हाँ, पापा! मेरी एक इच्छा है। मैं चाहता हूँ कि पापा आप मेरी इच्छा पूर्ण करें। मेरी इच्छा है कि इस बार दीपावली के दिन दीपावली के पावन पर्व को हम सब गरीब बस्ती में जाकर मनाएं। कल मैंने पड़ोस में छोटू को भूख से बिलखते, रोते देखा था। मुझसे देखा नहीं गया और मैं भी रोते हुए घर वापस आ गया। पापा आप भी जानते हैं, आप भी तो कार्यालय से घर आते वक्त देखते हैं कि गरीब बस्ती में रहने वाले किस तरह अपनी ज़िंदगी में अनगिनत कठिनाई सहन करते हैं। पापा क्या आपका मन नहीं करता है कि उनकी मदद की जाए। पापा मुझे लगता है कि विशेष त्योहार के दिन ही नहीं अपितु हमें हर दिन यथासंभव उनकी मदद हेतु अपना हाथ आगे बढ़ाना चाहिए।" 12 वर्षीय बेटे के मुख से मानवता से ओतप्रोत इन बातों को सुनकर नवीन के पिता को अपने बेटे पर गर्व होने लगा व ख़ुद पर शर्मिंदगी। गरीब, असहाय परिवार की ज़रूरतों को पूर्ण करने का उनकी मदद करने का जो ख़्याल मेरे मन में आज तक नहीं आया वह ख़्याल मेरे बेटे के मन में आया। बेटे को सीने से लगाते हुए पिता ने कहा, "बेटे मुझे गर्व है कि तुम मेरे बेटे हो। ईश्वर तुम्हारे जैसा पुत्र हर माता-पिता को दें। बेटे मैं तुम्हारी इच्छा अवश्य पूर्ण करूंगा। इस बार दीपावली का त्योहार हम गरीब बस्ती में जाकर ही मनाएंगे । और हाँ, छोटू से भी जाकर कह देना अब उसे किसी चीज़ के लिए रोने की ज़रूरत नहीं है।" नवीन को लग रहा था कि उस वक्त उसे दुनिया की सबसे बड़ी ख़ुशी मिल गई।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut badiya sandeep
धन्यवाद दी
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