कुछ पल बैठिए उनके पास

अपनी ज़िंदगी का कुछ पल ज़रुरतमंद के संग गुजारिए

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 16 Dec, 2020 | 1 min read
Hindi poetry Hindi kavita Manavata Humanity

कुछ पल बैठिए

उनके पास

जिनकी नहीं सुनता है कोई भी, कोई बात 

जिनके जीवन में

है हर दिन संघर्ष

जिनके हिस्से में 

ख़ुशी का नामोनिशान नहीं है

हाँ, उनके पास भी जाकर बैठिए

और उनका दर्द साझा कीजिए अपने साथ

उनके जीवन के दर्द को दूर करने का भी

कीजिए प्रयास।।


कुछ पल बैठिए

उनके पास जो हैं नेत्रहीन

कुछ पल बैठने से

महज कुछ समय गंवाना पड़ेगा

आपको अपने हिस्से का

पर उनके साथ कुछ पल

जैसे ही आप गुजारेंगे

पूछेंगे उनसे उनका हालचाल

तो दिखाई देगा आपको

उस नेत्रहीन शख़्स की आँखों में भी

ख़ुशी की एक अनोखी चमक।।


कुछ पल बैठिए

उनके पास जो दिनभर 

कड़ी मेहनत करते हैं

खून पसीना एक करके

अन्न उगाते हैं

उनके साथ यदि आप

कुछ पल गुजारेंगे तो

उनके दिल को तनिक

सुकून अवश्य मिलेगा

और आपको ज्ञात होगा

कि अन्नदाता सहन 

करता है असहनीय कष्ट

इस बात की जानकारी

किसी भी किताब में

जानने को नहीं मिलेगी

हाँ, इसलिए कुछ पल

गुजारिए अन्नदाता के साथ भी।।


कुछ पल बैठिए 

उनके पास जिनके हिस्से में

रहती है हर दिन दुख की काली रात

जिन्हें दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से

होती है नसीब

कुछ पल उनके समक्ष बैठने से

उनका गम महसूस करने से

आपको अपनी ज़िंदगी का

हर गम लगेगा बेहद कम

आप अपना गम भूलकर

तब, मुस्कुराने लगेंगे

और आपके मुख से निकलेगा

हाँ, इस दुनिया में 

सभी ख़ुशकिस्मत नहीं है।।

©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित







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Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👍👍👍

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दी

  • Sonia Madaan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👏👏👏

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद

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