मेरे सुपर हीरो मेरे "पापा"

पापा के नाम दो शब्द!!

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Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 15 Jun, 2020 | 1 min read
One of the best person Fathers superhero Dad

अपने बच्चों से बेइंतहा प्रेम केवल माँ ही नहीं करती है बल्कि एक पिता भी अपने बच्चों से बेइंतहा प्रेम करते हैं। पिता के विषय में किसी भी कविता,कहानी या आलेख द्वारा कुछ भी लिखना सरल नहीं है। उनके संदर्भ में जितना भी लिखा जाए कम है। पिता अपनी ख़ुशी की परवाह नहीं करते हैं। और बच्चों की ख़ुशी पूर्ण करने के लिए अनगिनत मुश्किलें सहन करते हैं। 


मुझसे यदि कोई प्रश्न करेगा कि आप अपना सुपर हीरो किसे मानते हैं? तो मेरा जवाब होगा " मेरे पापा"


हाँ मैं प्रश्न करने वाले शख़्स को यही जवाब दूंगा कि मेरे पापा ही हैं मेरे सुपर हीरो। एक सुपर हीरो तमाम मुश्किलों से हमें उबार देता है। एक सुपर हीरो अपना सर्वस्व अपने करीबियों के लिए समर्पित करता है। ठीक उसी प्रकार पिता भी अपना सर्वस्व परिवार की ख़ुशी के लिए बच्चों की ख़ुशी के लिए समर्पित करते हैं। मेरे पापा ने सदैव मुझसे बेइंतहा प्रेम किया। उन्होंने कभी भी किसी भी चीज़ की कमी नहीं महसूस होने दी मुझे और परिवार के अन्य सदस्यों को। अच्छे संस्कार दिए उन्होंने मुझे और कभी भी मुश्किल से हार न मानने की सलाह भी। और एक अच्छी बात उन्होंने बताई थी कि भविष्य में बेशक बड़ा आदमी बनना या नहीं पर अच्छा आदमी ज़रूर बनना। सभी को समान दृष्टि से देखना व सभी का आदर व सम्मान करना।इन्हीं सभी कारणों से ही तो मैं कहता हूँ कि मेरे पापा थे और हैं भी मेरे सुपर हीरो। बेशक आज हमारे बीच पापा नहीं हैं पर मैं हर पल यह महसूस करता हूँ कि पापा इस धरा पर न होकर भी मेरे इर्दगिर्द हैं। मेरे दिल के बेहद करीब हैं।


जब सुनाते थे पापा अपने संघर्ष की कहानी तो आँखों से बहने लगते थे अश्रु


पापा ने शुरुआत से ही बहुत कष्ट सहन किया। जब पापा ट्यूशन पढ़ाकर घर वापस आते थे तो अपने संघर्ष की कहानी सुनाते थे। बचपन से ही उन्होंने बहुत कष्ट सहा।उनके दर्द को सुनने मात्र से मेरी आँखों में आंसू आ जाते थे। और मैं यही सोचता था उस वक्त की पापा ने भले ही अपने शुरुआती दिनों में कष्ट झेला है पर जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो अच्छा काम कर अपने परिवार के हर सदस्यों को व अपने पापा को ढ़ेर सारी ख़ुशियाँ दूंगा। पर अफ़सोस, पापा बीमारी की वजह से असमय ही ईश्वर के पास चले गए। जब पापा का देहांत हुआ तो मैं उस वक्त चौदह वर्ष का था। पर इतने ही दिनों में मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ। उन्होंने जो संस्कार दिए उसी की बदौलत आज जो भी हूं जहां भी हूं सबों का ढ़ेर सारा स्नेह और आशीष मिलता है। उनकी कमी तो हर पल महसूस होती है पर ख़ुद को संभालता हूं। क्योंकि माँ को भी तो संभालना है। दोनों भाईयों का असीम प्रेम,स्नेह और साथ मिलता है। दोनों भाई यही प्रयास करते हैं कि मुझे किसी चीज़ की कमी न महसूस हो। 


अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगा कि आप अपने करीबियों का अपने रिश्तेदारों का पूरा ख़्याल रखिये हमेशा हर पल। अपनों का साथ जब छूट जाता है तो बहुत दर्द होता है। जब तक सांस हैं परिवार के हर सदस्यों की ख़ुशी का ख़्याल रखिए। 


मेरे सुपर हीरो मेरे पापा आप जहां कहीं भी होंगे मुझे पूरा विश्वास है कि आपका आशीष सदैव मेरे साथ रहेगा।

सादर प्रणाम "पा"

सादर चरणस्पर्श बाऊजी!!


©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

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Kumar Sandeep

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Manu jain · 4 years ago last edited 4 years ago

    Heart touching story 😷😞🙏

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    जी दी🙏🏻🙏🏻

  • Praveen Miss · 4 years ago last edited 4 years ago

    नि:शब्द

  • Bharat Bhushan Pathak · 4 years ago last edited 4 years ago

    कुमार आपके शब्द प्रयोग बोलते से प्रतीत होते हैं,आपने इतनी मार्मिक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है कि मन मर्म में भींग गया।निस्सन्देह माँ का हमारे जीवन में स्थान तो है अपितु पिता का स्थान भी सर्वोपरि है।आपने अपने पिता को सुपरहीरो बताया है,इसमें कोई सन्देह उत्पन्न हो ही नहीं सकता।हमारा सम्पूर्ण संसार से दुराव हो सकता है अपितु पिता से दुराव,उनका वियोग बड़ा ही असहनीय होता है।शैश्वावथा में पिता के गोद का स्वार्गिक अनुभूति,बाल्यावस्था में उनके अँगुली का हमारे अँगुलियों से स्पर्श जिसे वो हमें इस संसार के साथ कदम मिलाकर चलना सीखाने के लिए थामते हैं,अपने कंधे पर बिठाकर उनका हमें चलना इस बात की ओर इशारा करता है कि वो हमें हमेशा इसी भाँति ढाल बन रक्षण करते रहेंगे। सारांश में बहुत ही अमूल्य अनुभूति होती है ये।

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद आदरणीय भरण भूषण पाठक सर।सादर चरणस्पर्श🙏🏻🙏🏻

  • Kamlesh Vajpeyi · 4 years ago last edited 4 years ago

    सन्तान के व्यक्तित्व के विकास में पिता का भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है..!

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    बिल्कुल सही कहा आपने सर।🙏🏻🙏🏻अनमोल प्रतिक्रिया हेतु आपका अशेष आभार सर।

  • Anita Tomar · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत ही मार्मिक रचना। दिल को छू गई तुम्हारी लेखनी। एक पुत्र के जीवन में पिता का स्थान ईश्वर के समान होता है। जीवनभर एक पिता अपनी संतान के लिए छोटी- छोटी खुशियों का त्याग करता रहता है। पिता की झलक उसकी संतानों के संस्कारों में झलकती रहती हैं। भले ही पिता साथ हो ना हो परंतु उनका आशीर्वाद हमेशा अपने बच्चों के साथ ही रहता है।

  • Resmi Sharma (Nikki ) · 4 years ago last edited 4 years ago

    दिल छु लेने वाली 💐💐💐

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद अनिता दी🙏🏻🙏🏻

  • Kumar Sandeep · 4 years ago last edited 4 years ago

    धन्यवाद रश्मि माता श्री

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