पढ़ने की लत यदि है आपके मन में तो यकीन मानिए आप सबकुछ सीख सकते हैं। पढ़ने की ललक एक दिन आपको सफलता के शीर्ष पर पहुंचा सकती है। जितना आप पढ़ते हैं उतना ही ज्ञान में वृद्धि होती है। साथ ही, सोचने व समझने की क्षमता भी बढ़ती है। इसलिए खूब पढ़िये। एक समय निर्धारित कीजिए व उस समय कुछ भी संदेशप्रद संदेश अवश्य पढ़िये।
यदि आप लेखन क्षेत्र से संबंध रखते हैं तो पढ़ना आपके लिए फायदेमंद ही नहीं बल्कि बेहद फायदेमंद है। क्योंकि जितना आप पढ़ते हैं उतना ही आपको जानकारी मिलती है। जब तक आप किसी वरिष्ठ साहित्यकार या प्रसिद्ध लेखकों की रचनाओं को नहीं पढ़ेंगे तब तक आपके अंदर बेहतर लिखने का हुनर नहीं आ सकता है। इसलिए बेहतर या कुछ अच्छा लिखने के लिए सर्वप्रथम आप पढ़ने की ललक को तीव्र कीजिए। जब फुर्सत का समय हो तब समय को व्यर्थ गंवाने कि बजाय उस समय पुस्तकें पढ़िये, प्रसिद्ध रचनाकारों की रचनाएँ पढ़िए। पुस्तकें व रचनाएँ पढ़ने के पश्चात आप बहुत कुछ सीख पाएंगे। शब्दकोष में वृद्धि होगी, साथ ही अज्ञात तथ्य भी ज्ञात होगा।
एक विद्यार्थी की क्या परिभाषा हो सकती है? मेरे अनुसार एक विद्यार्थी वही है जिसमें सीखने की कुछ जानने की ललक हो। चाहे आप जिस मुकाम पर हों सफलता के शीर्ष पर ही क्यूं न, पर आप ख़ुद को एक विद्यार्थी मानकर चलिए। और हमेशा कुछ-न-कुछ सीखते रहिए व पढ़ते रहिए। वो दिन दूर नहीं जब आपके अंदर ज्ञान में वृद्धि हो चुकी होगी। आप बेहतर बोल पाएंगे, अच्छा लिख पाएंगे व किसी के साथ सार्थक बातें साझा कर दूसरों के ज्ञान में वृद्धि कर पाएंगे। ऐसा तभी संभव है जब आपके अंदर पढ़ने की कुछ सीखने की ललक हर पल हो।
जब एक पाठक खूब पढ़ता है तभी वह भविष्य में कुछ अच्छा लिख पाता है। जब एक विद्यार्थी तन व मन लगाकर एकाग्रचित्त होकर पुस्तकें पढ़ता है तभी वह परीक्षा में बेहतर लिख पाता है, जिनसे उसका परीक्षा परिणाम बेहतरीन आता है। इसलिए देखा जाए तो कहीं-न-कहीं पढ़ना व सीखने की ललक को मन में हमेशा जीवित रखना हर वक्त लाभप्रद होता है। इसलिए खूब पढ़िए।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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