आज "शिक्षकों की व्यथा"

शिक्षकों के मन की पीड़ा

Originally published in hi
Reactions 3
565
Kumar Sandeep
Kumar Sandeep 30 Apr, 2021 | 1 min read
Corona time education Coronakal Pain Teachers pain

बच्चों को जी भर देखना चाहता हूँ

अपनी आँखों के सामने

मन भर बातें करना चाहता हूँ 

अपने मन को समझाने का,

भरपूर प्रयत्न करता हूँ

फिर भी मेरा मन नहीं मानता है

खूब रोता है, बहुत बिलखता है

शायद उसे वर्तमान हालात का पता नहीं!!


सफल होने वाले अपने जिगर के टुकड़ों की

पीठ थपथपाना चाहता हूँ

सफल बच्चों को गले से लगाकर

बहुत स्नेह, आशीर्वाद प्रदान करना चाहता हूँ

पर, आज हूँ मजबूर, बेबस हालात के समक्ष।।


आर्थिक स्थिति महामारी से पूर्व भी

मन को तोड़ने की भरपूर कोशिश करती थी

और आज इस मोड़ पर खड़ा हूँ,

महामारी की वजह से कि

अपनी वर्तमान परिस्थिति को

शब्दों में वर्णित कर पाने में असमर्थ हूँ।।


देश का भाग्य निर्माता कहा जाता है

हम शिक्षकों को, और आज

देश का भाग्य निर्माता भी 

अपने भाग्य को लेकर

चिंतित है, व्यथित है।।


पलकों की कोर पूर्णतः भीग जाती हैं

जब प्राइवेट शिक्षकों की वर्तमान दशा की 

ओर नज़र डालता हूँ,

उस वक्त मन चिंता रुपी नदी में डूब जाता है।।


इस स्थिति में भी अपने मन को टूटने नहीं दूँगा

हार नहीं मानूंगा हालात के समक्ष

तब तक लड़ूँगा जब तक साँसें शेष हैं

ज्ञान की ज्योति प्रज्जवलित करता रहूँगा

जब तब हूँ धरा पर।।



©कुमार संदीप

मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित

3 likes

Published By

Kumar Sandeep

Kumar_Sandeep

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    शिक्षक का मन लिखा है आपने... बहुत ख़ूब...

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद दी

  • Ruchika Rai · 3 years ago last edited 3 years ago

    Touched...Feel the same

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    धन्यवाद मैम

Please Login or Create a free account to comment.