चिंता किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, यह अकाट्य सत्य है। मुश्किल कितनी भी बड़ी क्यूं न हो ऐसा नहीं है कि कठिन मुश्किलों का समाधान नहीं है। हर मुश्किल का समाधान है। बस ज़रूरत है मुश्किल दूर करने हेतु सूझबूझ से काम लेने की। मुश्किल की घड़ी में घबराना बेचैन होना सही नहीं है। ऐसी बात नहीं है कि हम यदि चिंता करेंगे, घबराएंगे तो मुश्किल कम हो जाएगी। ऐसा करने से मुश्किल का आकार बढ़ेगा ही कमने की बजाय। इसलिए अति आवश्यक है कि मुश्किल वक्त में चिंता कीजिए ही मत तनिक भी।
सुख और दुख बारी-बारी से हमारे जीवन में आते-जाते रहते हैं। जब सुख स्थायी नहीं तो भला दुख कैसे स्थायी हो सकता है। दुख के पल भी गुज़र जाएंगे एक दिन ज़रूर। इतना विश्वास अवश्य रखिए। और यह भी स्मरण रखिए कि न तो दुख हमेशा के लिए हमारे पास रहने आता है और न ही सुख। इसलिए मुश्किल वक्त में चिंतित होने की बजाय समस्या का समाधान ढूंढिए।
जब आप मुश्किल दौर से गुज़र रहे हों तो भयभीत व घबराने की बजाय जरा एक ओर उनकी ओर नज़र डालिए जिनके जीवन में आपसे भी अधिक दुख व दर्द है। फिर भी, उनके चेहरे पर मायूसी नहीं है बल्कि मुश्किलों का सामना सूझबूझ से वे कर रहे हैं। क्योंकि वे जानते हैं कि चिंतित होने से मेरी मुश्किलें कम नहीं होंगी बल्कि यदि मैं मुश्किलों का सामना सूझबूझ से करूंगा तो निश्चित ही मुश्किलें दूर होंगी।
उन शख्सियतों की जीवनी पढ़िए जिन्होंने अपने जीवनकाल में कभी भी हारकर भी हार नहीं माना। विपरीत परिस्थिति में भी जिन्होंने चेहरे पर मुस्कान कायम रखा। मुश्किलें तो आईं उनके जीवन में भी पर उन्होंने मुश्किलों से मुँह नहीं मोड़ा। यदि आप उनकी जीवनी पढ़ते हैं उनके विषय में पूर्ण जानकारी अर्जित करते हैं तो यकीनन आपके अंदर मुश्किल से लड़ने की हिम्मत मिलेगी।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
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सही बात है, एक मशहूर साहित्यकार का एक दोहा है... नाम भूल रही हूं, मैं उनका.... "चिंता ऐसी डाकिनी... काट कलेजा खाए.... " आगे भी हो शायद, खोजकर पूरा करो तुम...!
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