मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
इसलिए नहीं कि
तुम देखने में खूबसूरत हो
मैं इसलिए तुमसे प्रेम करता हूँ कि
तुम्हारा मन है अतिसुंदर
तन की प्रशंसा कर
नहीं साबित करना चाहता मैं
स्वयं को सर्वश्रेष्ठ।।
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
इसलिए नहीं कि
तुम्हारे बाल हैं घुंघराले, आँखें हैं जादूगरी
मैं इसलिए तुमसे प्रेम करता हूँ कि
तुम्हारे अंदर इंसानियत के
हर गुण हैं मौजूद।।
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
इसलिए नहीं कि
मुझे तुम्हारी संपत्ति, धन, वैभव
को पाने की लालसा है
मैं इसलिए तुमसे प्रेम करता हूँ कि
तुम हो एक नारी
और नारी के तन की सुंदरता
से भी अधिक सुंदर होता है
नारी का मन।।
अफसोस इस बात का है कि
आज के समय में भरते हैं जो दंभ
कहते हैं स्वयं को सबसे बड़ा प्रेमी
वे नहीं समझते नारी की महिमा
उनके लिए नारी की तन की खूबसूरती
मायने रखती है पहले
मेरी नज़र में वे प्रेमी नहीं
सबसे बड़े ढ़ोंगी हैं।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Bahut khub 👏
धन्यवाद
इस तरह की प्रेम कविताएँ लेखकों द्वारा कम ही लिखी जाती हैं। उम्दा कृति
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