पिता!
पिता वृक्ष के समान है
वृक्ष की भाँति पिता भी होता है परोपकारी,दयालु
संतान की ख़ुशी की ख़ातिर
पिता भी कपकपाती ठंड में,तपती धूप में
काम पर डटा रहता है
वृक्ष की भाँति पिता भी
सदा बच्चों का साथ निभाता है।।
पिता!
पिता आसमान के समान है
जिस तरह आसमान टकटकी लगाकर
ऊपर से समस्त क्रियाकलापों को
देखता रहता है,ठीक उसी तरह
पिता भी संतान की ख़ुशी और उन्नति
देखकर मन ही मन होता है हर्षित
निहारता रहता है पिता भी पुत्र को सर्वदा।।
पिता!
पिता हवा के समान है
जिस तरह हवा जब बहती है
तो तन और मन को ठंडक प्रदान करती है
और जब हवा लुप्त हो जाती है तो बेचैनी महसूस होती है
ठीक उसी तरह जब पिता सर्वदा के लिए असमय ही
परिवार से दूर चले जाते हैं तो
एक अज़ब-सी बेचैनी होती है महसूस।।
पिता!
पिता ईश्वर के समान है
जिस तरह ईश्वर हर कठिन परिस्थिति में
हमारा साथ निभाते हैं
सफलता के पथ पर चलने हेतु
सदा आशीर्वाद प्रदान करते हैं
ठीक उसी तरह पिता भी सदा
संतान को असीम प्रेम और ढ़ेर सारा आशीष देते हैं।।
पिता!
पिता शब्द अवर्णनीय है
हाँ यह सच है कि
पिता का त्याग अकथनीय है
पिता का पुत्र के प्रति अपार प्रेम अतुलनीय है
पिता की बस इतनी-सी ख़्वाहिश
रहती है ताउम्र कि
मेरी संतान के हिस्से में ख़ुशी-ही-ख़ुशी हो ।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
It's really heart touching poem..., God bless u brother....
💐💐👍👍👍👌👌🙏🙏💐🙏💐🙏💐
बहुत ही सुंदर भाव शानदार रचना प्रिय अनुज
जी मनःपूर्वक आभार आपका
जी हार्दिक आभार अरूण सर
शानदार रचना 👏👏👏
शानदार रचना 👏👏👏
धन्यवाद दी
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