बेटी के आगमन पर कुछ परिवारों में कुछेक लोग शोक मनाने लगाते हैं। वहीं बेटों के आगमन पर ख़ुशी में झूमने लगते हैं। पर सोचिए जरा बेटियां यदि ना रहे घर में तो कितनी ख़ुशियाँ हमसे छीन जाएंगी। एक भाई के हिस्से से उसकी बहन का स्नेह छीन जाएगा, एक बहन के हिस्से से उसके भाई का स्नेह छीन जाएगा।
मशहूर शायर मुनव्वर राणा का एक शेर है कि किसी किसी के ज़ख्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा, अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बांधेगा। इस एक शेर में बहनों की हमारे जीवन में एहमियत को कितनी खूबसूरती से पेश किया गया है। बहनें न हों तो हमारी कलाई राखी के दिन सूनी ही रह जाती है। इसलिए आपके जीवन में ईश्वर ने यदि बहन दिया है तो इसके लिए आपको ईश्वर का आभार व्यक्त करना चाहिए।
बेटियों के बिना घर की दिवारें भी एकांत में रोती हैं, यह पूर्णतः सत्य है। त्योहारों के अवसरों पर अधिकांशतः बेटियों की एहमियत क्या होती है यह देखने को मिल ही जाती है। भाईदूज का त्योहार हो अथवा रक्षाबंधन का त्यौहार एक भाई के लिए बहन का ना होना भाई का मन दुख से भर देता है।
ईश्वर हर भाई के हिस्से में एक बहन को ज़रूर दे। और हम उस बहन की कद्र भी करें। न केवल अपनी बहन की बल्कि दूसरों की बहन की भी हम उतनी ही कद्र करें जितना हम अपनी बहन की कद्र करते हैं। क्योंकि अपनी बहन ही अपनी बहन नहीं होती है, दूसरों की बहन को भी मान सम्मान देना हमारा कर्तव्य है।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित, अप्रकाशित
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